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________________ आगमधरसूरि १२९ समझाने के प्रयत्न त्यागधर्म का अवरोधक कानून बनाने की उमंग रखनेवाले राजा को अपना मुँह पूज्य प्रवरश्री को बताने में लाज लगती होगी ऐसा मान ले तो भी पूज्यश्री उनके महामंत्री से मिले और शास्त्रीय एवं सामाजिक विवरणों से दीक्षा की महत्ता समझाने का प्रयत्न किया; मुँह के मीठे मत्री हा-हा-हा कहते रहे और अधर्म-मूलक कानून अपने राज्य पर लाद दिया। ___ बालदीक्षा की उपयोगिता दीक्षा अर्थात् भौतिक विषयजन्य सुख के साधनों का स्वेच्छापूर्वक सर्वांशतः त्याग। ____ इस शरीर के द्वारा आत्महित की साधना की दृष्टि से शरीरनिर्वाह के लिए पौद्गलिक साधनों का अनिवार्य उपयोग करना पड़ता है, फिर भी इन साधनों के उपभोग में सुख की कल्पना या खोन नहीं करनी होती। इह लोक तथा परगक में भौतिक सुख मिले ऐसी इच्छा करना भी विहित नहीं। . दीक्षा का मुख्य उद्देश्य शुद्ध आत्मस्वरूप की सम्पूर्ण और शाश्वत स्थिति प्राप्त करना है। इस तरह का शिक्षित आत्मा जब भवान्तर में जाता है और जब साधारण परन्तु स्वच्छ समझवाला बनता है तब पूर्वजन्म के संस्कारों के बीजकों के कारण छः सात वर्ष की अवस्था में भी सर्व त्याग की भावनावाला बनता है।
SR No.032387
Book TitleAgamdharsuri
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKshamasagar
PublisherJain Pustak Prakashak Samstha
Publication Year1973
Total Pages310
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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