SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 175
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सत्रहवा अध्याय बडौदा रियासत का कलंक नगर और नगर के राजा बडोदा वर्तमान समय का एक सुन्दर नगर है । यहाँ की भौतिक शोभा बढ़ी आकर्षक है । इस का श्रेय बडोदा- नरेश श्रीमान् सयाजीराव गायकवाड का है । श्रीमान् सयाजीराव बुद्धिशाली और प्रजावत्सल वे वासना, विलास, वैभव, वारुणी एवं वारांगना के रहते थे । परन्तु राजा थे, मोह में लिपटे भारत जैसे आर्यदेश में उनका जन्म हुआ था । परन्तु उनका लालन-पालन अनार्य संस्कृति अथवा भौतिक परंपरा के अनुसार हुआ था। वे यूरोप में बहुत रहे थे । और उन्हें वहाँ बहुत अच्छा लगता था । पाश्चात्य लोगों के सहचार के कारण उनके जीवन में से आध्यात्मिकता नष्ट हो चुकी थी, या अत्यन्त अल्प रही थी । उनकी यह अभिलाषा थी कि उनकी रियाया शिक्षा प्राप्त करे और सुखी बने परन्तु उनका ज्ञान इस जन्म तक ही सीमित था और प्रजा को भौतिक सुख प्राप्त हो इतनी ही उनकी इच्छा थी । अध्यात्म-सम्बन्धी बातों के नाम पर उनके जीवन में केवल शून्य ही था ।
SR No.032387
Book TitleAgamdharsuri
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKshamasagar
PublisherJain Pustak Prakashak Samstha
Publication Year1973
Total Pages310
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy