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________________ ४९६ नमो पुरिसवरगंधहत्थीणं ) अपनाते हैं। आचार्य श्री हस्तीमलजी म. ने संलेखना युक्त सन्थारा कर सहर्ष मृत्यु का वरण करने का जो संकल्प किया, वह उनके आध्यात्मिक जीवन के उत्कर्ष का द्योतक है। तेले के तप पर उन्होंने दस दिन का संथारा कर जैन शासन की प्रबल प्रभावना की । आचार्य पद पर आसीन महापुरुषों को प्राय: सन्थारा कम आता है, पर आश्चर्य यह कि आपको इतना लम्बा सन्थारा आया। उस सन्थारे में आपकी जप-साधना भी चलती रही। आपके चेहरे पर अपूर्व उल्लास दमकता-चमकता रहा । अन्तिम क्षण तक अपूर्व समाधि बनी रही। भारतीय साहित्य में हस्ती की अपनी महत्ता रही है। वह युद्ध के क्षेत्र में कभी भी पीछे नहीं हटता था। हाथियों की अनेक जातियाँ हैं। उनमें 'गंध हस्ती' को सर्वोत्तम माना गया है। 'ज्ञातृधर्मकथा' में राजा श्रेणिक के पास | जो सेचनक हस्ती था, उसे ग्रन्थकारों ने 'गंध हस्ती' लिखा है। वासुदेव श्रीकृष्ण के पास जो 'विजय हस्ती' था व भी गन्ध हस्ती कहलाता था। जिसके गण्डस्थल से इस प्रकार का मद चूता था जिससे दूसरे हस्ती उस हस्ती के सामने टिक नहीं पाते थे। ‘उत्तराध्ययन की टीका' में धवल हाथी का उल्लेख आता है जो शंख के समान, चन्द्रमा के समान और कुन्द पुष्प के समान उज्ज्वल होता था। कौटिल्य ने अर्थशास्त्र में भद्र नामक हाथी को सर्वोत्तम हाथी लिखा है। उसे जैन शास्त्रों में गंध हस्ती कहा गया। 'शक्रस्तव' में देवेन्द्र ने भी तीर्थंकर भगवान् को 'गंध हस्ती' की उपमा से अलंकृत किया है। आचार्य श्री हस्तीमलजी म. नाम से ही हस्ती नहीं थे, उन्होंने जिस संयम-पथ को अपनाया उस पथ में निरन्तर आगे बढ़ते रहे और जीवन की अन्तिम घड़ियों में सन्थारा वरण कर कर्म-शत्रओं को परास्त करने का जो उपक्रम उन्होंने किया, वह हर साधक के लिए प्रेरणा-स्रोत है। ____ मैं अपनी तथा श्रमण संघ की ओर से श्रद्धार्चना समर्पित कर रहा हूँ। भले ही आज उनकी भौतिक देह हमारे बीच नहीं है, पर वे यश: शरीर से आज भी जीवित हैं और भविष्य में भी सदा जीवित रहेंगे। उनका मंगलमय जीवन सदा प्रेरणा का स्रोत बना रहेगा। (जिनवाणी, श्रद्धाञ्जलि अंक, सन् १९९१ से संकलित)
SR No.032385
Book TitleNamo Purisavaragandh Hatthinam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchand Jain and Others
PublisherAkhil Bharatiya Jain Ratna Hiteshi Shravak Sangh
Publication Year2003
Total Pages960
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size34 MB
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