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________________ प्रथम खण्ड : जीवनी खण्ड २५९ %Bos maaram a - प्रकाश डाला गया। गंगवाल भवन में धर्मगंगा बहाकर आप जैतारण, रानीवाल, खारिया होकर बिलाड़ा पधारे। यहाँ २३ अप्रेल || को महावीर जयन्ती का पर्व जोधपुर, कोसाणा, भोपालगढ, पीपाड़ सैलाना आदि स्थानों के श्रावकों की उपस्थिति में तप-त्याग पूर्वक मनाया गया। बिलाडा से वरणा, अटपडा, रुन्दिया, चौरड़ियाजी की फैक्ट्री होते हुए सोजत पधारे।। यहां श्री हकमीचन्दजी ने परिग्रह परिमाण किया। सोजत रोड में युवाचार्य श्री मधुकरजी म.सा. की परंपरा की सती सोहनजी एवं कमलाजी प्रवर्तिनी श्री सुन्दर || कँवरजी म.सा. के संस्मरण सुनाने सेवा में पधारे । यहाँ से घिनावास, धाकडी, जाडण होते नवा गांव के विद्यालय में पधारे, जहाँ काफी संख्या में भाई-बहन, सन्तों के दर्शनों के लिए आतुर थे। विद्यालय के बच्चों को प्रसाद रूप में व्यसन-त्याग आदि के तीन नियम कराये। यहाँ से ६ मई ८६ वैशाखकृष्णा १३ को आप पाली पधारे। अक्षय । तृतीया पर वर्षीतप करने वाले २६ तपस्वी श्रावक-श्राविकाओं ने दर्शनलाभ लेकर एवं नवीन त्याग-प्रत्याख्यान कर । अपने को धन्य समझा। पाली में वैशाख शुक्ला षष्ठी १५ मई १९८६ को श्री जवरीलाल जी मुणोत की सुपुत्री मुमुक्षु बहिन श्रीमती ।। मुन्नीबाई धर्मपत्नी श्री लिखमीचन्दजी लोढा घिनावास एवं सुश्री समिता सुराणा सुपुत्री श्री मांगीलालजी एवं ज्ञानबाई | जी सुराणा, नागौर ने आराध्य गुरुदेव के मुखारविन्द से चतुर्विध संघ व हजारों दर्शनार्थी भाई-बहिनों की साक्षी में ! । भागवती श्रमणी दीक्षा अंगीकार कर मोक्षमार्ग में अपने कदम बढाये। दीक्षोपरान्त आपके नाम क्रमश: महासती श्री || । सुमनलता जी एवं महासती श्री सुमतिप्रभाजी रखे गए। रघुनाथ स्मृति भवन में २२ मई को लगभग ५०० उपवास - आयम्बिल हुए। सुराणा मार्केट से २६ मई को । विहार कर हाउसिंग बोर्ड, रोहट नींवला, काकाणी को फरसकर कच्चे मार्ग से कूडी, झालामण्ड होकर आप जोधपुर पधारे। यहाँ आपने इण्डस्ट्रियल एरिया में श्री माणकमलजी भण्डारी को आजीवन सदार शीलव्रत एवं प्रकाश जी को उनके बंगले पर एक वर्ष का शीलव्रत कराया। घोड़ों का चौक, सरदारपुरा, पावटा, महामन्दिर आदि स्थानों में विराजते समय श्री पारसमलजी कुम्भद श्री चन्दनराजजी अध्यापक, श्री तखतराजजी सिंघवी आदि को आजीवन शीलव्रत कराकर एवं तप-त्याग द्वारा जिन शासन की प्रभावना कर आपने २५ जून १९८६ को चातुर्मासार्थ पीपाड़ के लिए विहार किया। . पीपाड़ चातुर्मास (संवत् २०४३) ___ मार्ग में बुचकला एवं कोसाणा में विशेष धर्मोद्योत करते हुए पूज्य चरितनायक ने ठाणा १० से १३ जुलाई रविवार आषाढ शुक्ला ६ संवत् २०४३ को ६६ वें चातुर्मास हेतु श्रावक-श्राविकाओं के प्रफुल्लित आस्यों से उच्चरित जयनादों के साथ पीपाड़ शहर के विकास केन्द्र कोट में मंगल पदार्पण किया। आचार्य श्री की जन्मभूमि पीपाड़ में त्याग-तप की झडी लग गई। १५ अगस्त के व्याख्यान में अहिंसा का महत्त्व निरूपित करते हुए आचार्य श्री ने फरमाया-“देशवासियों को अहिंसा से आजादी मिली, किन्तु आज हिंसा की आग फैल रही है। इसे रोकने के लिए हमें अहिंसा को ही हृदय में बिठाना होगा।” त्रिदिवसीय (१५-१७ अगस्त १९८६ ) स्वाध्यायी प्रशिक्षण शिविर में देश के ३० प्रमुख स्वाध्यायियों ने भाग लिया। आचार्य श्री की धर्मसभा में| स्थानीय हरिजन श्री बंसीलाल ने आचार्य श्री से आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत स्वीकार किया तथा मद्यमांस का त्याग mam...ssmanimat--PTAMB -MEA
SR No.032385
Book TitleNamo Purisavaragandh Hatthinam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchand Jain and Others
PublisherAkhil Bharatiya Jain Ratna Hiteshi Shravak Sangh
Publication Year2003
Total Pages960
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size34 MB
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