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________________ रत्नवंश सम्प्रदाय पूज्य श्री धर्मदासजी म. पूज्य श्री धन्नाजी म. पूज्य श्री भूधर जी म. पूज्य श्री रघुनाथ जी म.सा. पूज्य श्री जयमलजी म.सा. पूज्य श्री जेतसी जी रत्न वंश के मूल पुरुष पूज्य श्री कुशल चन्द्र जी (कुशलोजी म.सा.) (वि.सं. १७९४ से वि.सं. १८४० तक) (पूज्य श्री दुर्गादास जी म.सा. को विद्यमानता में पूज्य श्री रत्न चन्द जी म.सा. ने शासन संभालते हुए भी (विक्रम संवत् १८५८ से १८८२ तक) पूज्य पद स्वीकार नहीं किया। प्रथम पट्टधर पूज्य श्री गुमानचन्दजी म.सा. (संवत् १८४० से१८५८ कार्तिक शुक्ला अष्टमी) द्वितीय पट्टधर पूज्य श्री रत्नचन्द्रजी म.सा. (मार्गशीर्ष शुक्ला त्रयोदशी १८८२ से ज्येष्ठ शुक्ला चतुर्दशी १९०२) तृतीय पट्टधर पूज्य श्री हमीर मलजी म.सा. (१९०२ के आषाढ़ कूणा १३ से कार्तिक कृष्णा १ संवत् १९१०) चतुर्थ पट्टधर पूज्य श्री कजोडीमलजी म. (माघ शुक्ला ५ संवत् १९१० से वैशाख शुक्ला तीज संवत् १९३६) पंचम पट्टधर पूज्य श्री विनयचन्द्रजी म.सा. (ज्येष्ठ कृष्णा ५ संवत् १९३७ से मार्गशीर्ष कृष्णा १२ संवत् १९७२) षष्ठ पट्टधर पूज्य श्री शोभाचन्द्रजी म.सा. (फाल्गुन कृष्णा ८ संवत् १९७२ से श्रावण कृष्णा अमावस्या संवत् १९८३) | सप्तम पट्टधर पूज्य श्री हस्तीमलजी म.सा. (चरितनायक) (अक्षयतृतीया वैशाख सुदी ३ वि.सं. १९८७ से वैशाख शुक्ला ८ संवत् २०४८) अष्टम पट्टधर पूज्य श्री हीराचन्द्रजी म.सा. (ज्येष्ठ कृष्णा ५ संवत् २०४८ से निरन्तर)
SR No.032385
Book TitleNamo Purisavaragandh Hatthinam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchand Jain and Others
PublisherAkhil Bharatiya Jain Ratna Hiteshi Shravak Sangh
Publication Year2003
Total Pages960
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size34 MB
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