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________________ ५७० दण्डायतिकः प्रसारितदेहः, लगण्डशायी भूम्यलग्नपृष्ठः । [सू० ५५५] जंबुद्दीवे दीवे सत्त वासा पन्नत्ता, तंजहा - भरहे, एरवते, हेमवते, हेरन्नवते, हरिवासे, रम्मगवासे, महाविदेहे । जंबुद्दीवे दीवे सत्त वासहरपव्वता पन्नत्ता, तंजहा - चुल्लहिमवंते, महाहिमवंते, निसढे, नीलवंते, रुप्पी, सिहरी, मंदरे । जंबुवे वे सत्त महानदीओ पुरत्थाभिमुहीओ लवणसमुदं समप्पेंति, तंजहा - गंगा, रोहिता, हिरी, सीता, णरकंता, सुवण्णकूला, रत्ता । जंबुद्दीवे दीवे सत्त महानदीओ पच्चत्थाभिमुहीओ लवणसमुद्दे समप्पेंति, तंजहा- सिंधू, रोहितंसा, हरिकंता, सीतोदा, णारिकंता, रुप्पकूला, रत्तावती । धायइसंडदीवपुरत्थिमद्धे णं सत्त वासा पन्नत्ता, तंजहा - भरहे जाव महाविदेहे । धायइसंडदीवपुरत्थिमद्धे णं सत्त वासहरपव्वता पन्नत्ता, तंजहा - चुल्लहिमवंते जाव मंदरे । धायइसंडदीवपुरत्थिमद्धे णं सत्त महानदीओ पुरत्थाभिमुहीओ कालोदसमुदं समप्पेंति, तंजहा - गंगा जाव रत्ता । धायइसंडदीवपुरत्थिमद्धे णं सत्त महानदीओ पच्चत्थाभिमुहीओ लवणसमुदं समप्पेंति, तंजहा-सिंधू जाव रत्तावती । धायइसंडदीवपच्चत्थिमद्धे णं सत्त वासा एवं चेव, णवरं पुरत्थाभिमुहीओ लवणसमुद्दं समप्पेंति, पच्चत्थाभिमुहीओ कालोद, सेसं तं चेव । पुक्खरवरदीवढपुरत्थिमद्धे णं सत्त वासा तहेव, णवरं पुरत्थाभिमुहीओ पुक्खरोदं समुदं समप्पेंति, पच्चत्थाभिमुहीतो कालोदं समुदं समप्पेंति, सेसं तं चेव। एवं पच्चत्थिमद्धे वि, णवरं पुरत्थाभिमुहीओ कालोदं समुदं समप्पेंति, पच्चत्थाभिमुहीओ पुक्खरोदं समुदं समप्पेंति, सव्वत्थ वासा वासहरपव्वता णदीओ य भाणितव्वाणि । [टी०] इदं च कायक्लेशरूपं तपो मनुष्यलोक एवास्तीति तत्प्रतिपादनपरं
SR No.032374
Book TitleSthanang Sutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayhemchandrasuri
PublisherJinshasan Aradhana Trust
Publication Year2014
Total Pages372
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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