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________________ ३३५ चतुर्थमध्ययनं चतुःस्थानकम् । तृतीय उद्देशकः । चत्तारि फला पन्नत्ता, तंजहा-आमलगमहुरे, मुद्दितामहुरे, खीरमहुरे, खंडमहरे। एवामेव चत्तारि आयरिया पन्नत्ता, तंजहा-आमलगमहुरफलसमाणे जाव खंडमहुरफलसमाणे । ___ चत्तारि पुरिसजाता पन्नत्ता, तंजहा-आतवेतावच्चकरे नाममेगे नो परवेतावच्चकरे ह्व [= ४] । ___ चत्तारि पुरिसजाता पन्नत्ता, तंजहा-करेति नाममेगे वेयावच्चं णो पडिच्छइ, पडिच्छइ नाममेगे वेयावच्चं नो करेति ह्व [= ४] । चत्तारि पुरिसजाता पन्नत्ता, तंजहा-अट्ठकरे णाममेगे णो माणकरे, माणकरे णाममेगे णो अट्ठकरे, एगे अट्ठकरे वि माणकरे वि, एगे णो अट्ठकरे णो माणकरे । चत्तारि पुरिसजाता पन्नत्ता, तंजहा-गणट्टकरे णाममेगे णो माणकरे ह्व [= ४] । चत्तारि पुरिसजाता पन्नत्ता, तंजहा-गणसंगहकरे णाममेगे णो माणकरे ह्व [= ४] । __ चत्तारि पुरिसजाता पन्नत्ता, तंजहा-गणसोभकरे णामं एगे णो माणकरे ह्व [= ४] । __चत्तारि पुरिसजाता पन्नत्ता, तंजहा-गणसोहिकरे णाममेगे नो माणकरे ह्व [= ४] । ___ चत्तारि पुरिसजाता पन्नत्ता, तंजहा-रूवं नाममेगे जहति नो धम्मं, धम्म नाममेगे जहति नो रूवं, एगे रूवं पि जहति धम्म पि जहति, एगे नो रूवं जहति नो धम्म । __ चत्तारि पुरिसजाता पन्नत्ता, तंजहा-धम्मं नाममेगे जहति नो गणसंथितिं ह्व [= ४] । चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता, तंजहा-पियधम्मे नाममेगे नो दढधम्मे, दढधम्मे नाममेगे नो पियधम्मे, एगे पियधम्मे वि दढधम्मे वि, एगे नो
SR No.032373
Book TitleSthanang Sutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayhemchandrasuri
PublisherJinshasan Aradhana Trust
Publication Year2014
Total Pages432
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size34 MB
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