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________________ --...(७०)----.... लोगों को दण्ड देना पड़ता है। शासन करना बहुत कठिन कार्य है। विशेषकर उस राज्य में जिसमें मनुष्य मिथ्याचार तथा छल-कपट में संलग्न हो। इस पर सब मनुष्यों ने मिलकर कहा कि आप चिन्ता मत करो, जो पाप करेगा, वह उसी का पाप होगा। हम लोग आपको पशु और स्वर्ण का पचासवाँ भाग तथा धान्य का दसवाँ भाग राजकोष की वृद्धि के लिए देंगे। प्रजा जिस धर्म का आचरण करेगी, उस धर्म का चतुर्थांश आपको मिलेगा। इस प्रकार हे राजन् आप हमारी रक्षा करें। इस प्रकार प्रार्थना किये जाने पर मन ने राजपद स्वीकार कर लिया। इससे हम इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि मनुष्य और मनु के मध्य इस प्रकार का अनुबन्ध हुआ तभी मनु ने राजपद स्वीकार किया। मनु का आविर्भाव इस सामाजिक अनुबन्ध के परिणाम-स्वरूप होता है। महाभारत के शान्तिपर्व में सामाजिक अनुबन्ध के सिद्धान्त का एक और रूप हमारे सामने प्रस्तुत होता है। उसमें युधिष्ठिर भीष्म से प्रश्न करते हैं कि लोक में जो यह राजा शब्द प्रचलित है उसकी उत्पत्ति कैसे हई ? जिसे हम राजा कहते हैं, वह सभी गुणों में दूसरों के सदश है। उसके हाथ, पैर, जिह्वा भी औरों के समान है, मन, बुद्धि, इन्द्रिय सब औरों के समान हैं। वह अकेला होने पर भी शूरवीर एवं सत्पुरुषों से परिपूर्ण इस पृथ्वी का कैसे पालन करता है। यह सारा जगत देवता के समान उसके सामने झुक जाता है, इसका कोई कारण नहीं हो सकता। युधिष्ठिर के इस प्रश्न को सुनकर भीष्म फरमाते हैं कि "पहले न कोई राजा था, न राज्य था, न दण्ड था, न दण्ड देने वाले व्यक्ति थे, समस्त प्रजा धर्म के द्वारा ही परस्पर पनपती थी। कुछ समय के पश्चात् पारस्परिक संरक्षण के कार्य में कष्ट अनुभव करने लगे, मोह का साम्राज्य छा गया । ज्ञान-शून्य होने से धर्म का विनाश हो गया। मोह के वशीभूत लोग लोभ के अधीन होने लगे। लोभ के अधीन लोगों को काम नामक शत्र ने घेर लिया। काम के आधीन लोगों पर राग नामक शत्र ने आक्रमण कर दिया। राग के वशीभूत होकर मनुष्य अकर्तव्याकर्त्तव्य की बात भूल गये। १. महाभारत शान्तिपर्व अ० ६७/१७-२८ पृ० १४३-१४५. २. महाभारत शान्तिपर्व अ० ५९/१४ पृ० १२२.
SR No.032350
Book TitleBharatiya Rajniti Jain Puran Sahitya Sandarbh Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhu Smitashreeji
PublisherDurgadevi Nahta Charity Trust
Publication Year1991
Total Pages248
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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