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________________ प्रकाशकीय जीवन की उपादेयता एवं सार्थकता का परिमापक है व्यक्ति का आत्म-कल्याण के साथ विश्व कल्याण का प्रयत्न । इतिहास में वंदनीय वे ही कालजयी पुरुष होते हैं, जिन्होंने समष्टि को व्यष्टि में समाहित कर लिया। किसी भी व्यक्ति की सृजनात्मकता एवं कृतित्व का कलन समाज के प्रति उसके उत्तरदायित्व परिपालन एवं मानव - मात्र के सर्वांगीण विकास हेतु रचनात्मक सहयोग से किया जाता है । भारतीय सामाजिक व्यवस्था में उसके संत समुदाय के प्रति अगाध निष्ठा का मूलभूत कारण है हमारी वैचारिक एवं आध्यात्मिक विरासत, जिसमें संयम, शील, एवं गुणों को अर्थ एवं शक्ति से ज्यादा महत्वपूर्ण माना गया है। जैन संत समुदाय ने सदियों से भारतीय साहित्य, कला, धर्म, राजनीति, विचार, आध्यात्म, ज्योतिष एवं भाषा के क्षेत्र में अनुपम योगदान देकर भारतीय संस्कृति को समृद्ध एवं प्राणवान बनाया है। उसी विरासत की श्रृंखला को आगे बढ़ाते हुए परम विदुषी आर्यारत्न साध्वी डा० मधुस्मिता श्री जी ने गहन अध्ययन एवं श्रम - साध्य विश्लेषन के बाद प्रस्तुत ग्रन्थ "भारतीय राजनीति शास्त्र: जैन पुराणों के सन्दर्भ में ' का प्रणयन किया है । भारतीय राजनीति शास्त्र की विशद् व्याख्या एवं जैन पुराणों में निरूपित विभिन्न सिद्धांतों की विवेचना कर विदुषी म० सा० ने राजनीति के शिक्षार्थियों एवं विचारकों को अध्ययन क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है । यह मेरे लिए सौभाग्य का विषय है कि इस महत्वपूर्ण ग्रन्थ का प्रकाशन कराने का मुझे स्वर्णिम अवसर प्राप्त हुआ है। परम पूज्य म०
SR No.032350
Book TitleBharatiya Rajniti Jain Puran Sahitya Sandarbh Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhu Smitashreeji
PublisherDurgadevi Nahta Charity Trust
Publication Year1991
Total Pages248
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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