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________________ vuuuuuuuuuuu *HERPHARMIRERAPRATHMANTRA मांडवगढकामन्त्री ३९ * कुमार अपने चित्त की शांति के लिय गुरुमहाराजके पास उपदेश श्रवण * करने के लिये वन्दना करके बैठ गया । गुरुवर्य ने नी समयोचित उप* देश देना प्रारम्न किया इससे कांऊन * कुमारका शोकरूपी दावानल शान्त होगया तब गुरुमहाराज ने फरमाया कि हे मंत्रीश! संघको नक्ति करनेसे सम्यक्त्व निर्मल होता है इतना ही नहीं किन्तु इससे तीर्थकर नाम कर्म • का नी बन्धन होता है ऐसे संघ का * अधिपती होना बमा पुर्लन है लेकिन पूर्व पुण्य के उदय से ऐसा सुयोग * मिल सकता है इत्यादि गुरु महाराज की के सऽपदेश से फांऊनकुमारने विक्रम । संवत १३४७ माघ सुदी ५ के रोज र HARMATHAKHABAR
SR No.032336
Book TitleMandavgadh Ka Mantri Pethad Kumar Parichay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHansvijay
PublisherHansvijay Jain Free Library
Publication Year1923
Total Pages112
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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