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________________ ३० पेथडकुमारका परिचय ज्ञानभक्ति और ज्ञानमंदिर । एक समय बहुमूल्य वस्त्रालङ्कारोसे विनूषित प्रातःकाल के वक्त मंत्रीश्वर ) पेथमकुमार घोमेपर सवार होकर बमे ५ आमम्बर से गुरु वन्दना करने के लिये पोशधशाला में गया। नक्तिपूर्वक गुरु * महाराज को नमस्कार करके गुरु महाराजका व्याख्यान सुनने लगा, उस समय गुरुमहाराज जगवती सूत्रका कथन कर रहे थे उस कथन में वारं वार श्रीगोतमस्वामी का नाम सुनकर पेथमकुमार कहने लगा कि हे स्वामिन्! * * मेघमाला देखकर जैसे मोर नाचता है वैसे ही श्रीवीर प्रजुकी पवित्रवाणी सुनकर मेरा मन बहुत ही रञ्जित ।
SR No.032336
Book TitleMandavgadh Ka Mantri Pethad Kumar Parichay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHansvijay
PublisherHansvijay Jain Free Library
Publication Year1923
Total Pages112
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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