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________________ ___ मांडवगढकामन्त्री १५ प्राप्ति के लिये जंगल में घूमने लगा आखिरकार उसको एक बूटी की प्राप्ति की होने से उसका मनोरथ सफल हुवा ।। 2 उस बूटी के प्रत्नाव से वह लोह का सुवर्ण बनाने लगा जब उसने बहुतसा सुवर्ण बना लिया तो उस सुवर्ण को ऊंटो पर लदवा कर अपने स्थान मा. मवगढ को भेज दिया और फिर श्री ऋषनदेव जगवानके मंदिर म जाकर विचार करने लगा कि सुवर्ण के लोन से मैने षट्काय जीवोंकी जो विराधना * की है उसके लिये मुळे धिक्कार है, भ अपने स्वार्थ के लिये निरपराध प्रा. णियोंकी हिंसा करना महान् पापबन्ध * का कारण है खैर जो होना था सो हो गया अब मैं अपने सब सुवर्ण को , H AIRAMAYADEMY
SR No.032336
Book TitleMandavgadh Ka Mantri Pethad Kumar Parichay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHansvijay
PublisherHansvijay Jain Free Library
Publication Year1923
Total Pages112
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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