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________________ ऊपर किया गया है, वह क्रमसे सोलहवी और सतारवी सदी के नररत्न थे। अपने चरित्र नायकका समय उनसे भी दो सदी पहलेका होनेसे उस वक्तका मांडवगढ तो और भी ऋद्धि वृद्धिमें चढता था । पेथड - शाहने जो करोडों पये धर्मकार्यों में खर्च किये, इसमें एक आर भी कारण था । पेथडशाह व्यापार में निपुण था इतना ही नहीं, बल्कि उसके पुण्यके प्रभावसे वह, मांडवगढके नायक राजा जयसिंहका मंत्री भी था । इसके इलावा उसका पुण्य ऐसा जबरदस्त था, जिधरको वह हाथ बालता चारों हाथों सें मानो लक्ष्मी देवी उसका सत्कार करती थी । “ पेथडशाहके प्रसिद्ध कृत्योंका दिग्दर्शन.' १ आचार्य श्री धर्मघोषसूरिजी के पास परिग्रह प्रमाण ५ लाख टंक रखा था । २ गुरु महाराजैसे सम्यक्त्व स्वीकार किया उसके उत्सव निमित्त एक एक लडु और एक एक टंककी एक लाख पचीस हजार अपने साधर्मिक भाईयों को प्रभावना दी थी। १३ राजा जयसिंहके मांगने से चित्रावेल और कामकुंभ जो उसके पास थे राजाको भेट कर दिये थे । ४ एक ही रोजमें २६ योजनका पंथ करके गुरु महाराजके आगमन की - ( पधारनेको) खबर लाने वाले ""
SR No.032336
Book TitleMandavgadh Ka Mantri Pethad Kumar Parichay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHansvijay
PublisherHansvijay Jain Free Library
Publication Year1923
Total Pages112
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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