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________________ • श्री सहजानंदघन गुरूगाथा • | परिशिष्ट-९ गुरुकृपा के सृजन सत्त्व प्रचारकों, सर्वोदय कार्यकर्ताओं, अध्यापकों एवं छात्र-छात्राओं के लिये सात्त्विक संगीत प्रचार सह आमदानी का सुवर्ण अवसर अनेक सुमधुर कंठों एवं प्रा. प्रतापकुमार टोलिया, सुमित्रा टोलिया सह बेंगलोर के वर्धमान भारती इन्टरनेशल फाउन्डेशनने पिछले ४५ वर्षों से सात्त्विक संगीत का निर्माण किया है। इस आध्यात्मिक संगीत अभियान में जो अनेकभाषी एवं अनेकधर्मी रिकार्ड-कैसेट-सी.डी. आदि निर्मित हुई हैं उनमें से (१०० से अधिक शीर्षकों में से ) कुछ हैं : • श्री आत्मसिद्धि एवं अपूर्व अवसर (गुजराती): श्रीमद् राजचंद्रजी राजपद एवं परमगुरु पद (गुजराती + हिन्दी) महायोगी आनंदघन के पद एवं अनुभव वाणी (हिन्दी) : आनंदघनजी कृत जय जिनेश, प्रभातमंगल, जैन रासगरबा इ. (गुजराती): विविध संत राजुल-चंदनबाला, गिरनारजी सिध्धक्षेत्र, प्रार्थनामंदिर (गुज.) : विविध संत ग्राम्यजीवन, गुजराती लोकगीत, रासगरबा नूतन पुरातन (गुज.) : विविध कवि श्री भक्तामर स्तोत्र, कल्याणमंदिर, नवस्मरणादि (संस्कृत प्राकृत) : विविध आचार्य श्री महावीराष्टक स्तोत्र, परमात्म स्तोत्र, ऋषिमंडल (संस्कृत) : विविध आचार्य महावीर दर्शन, महावीर कथा (गुज. हिन्दी), मंगलमय महावीर : ईशोपनिषद्, कठोपनिषद्, स्थितप्रज्ञा, रामरक्षा-रामायण (सं./हि.) पारम्परिक • ॐ तत्सत्, गीताप्रवचन (विनोबाजी), वीरों की बाट (दुःखायलजी) • गीत-गज़ल, स्पन्दन संवेदन, विविध गान, अमरिका कार्यक्रम ( अनेक उर्दू, हिन्दी, गुज. कवि) • ध्यान-संगीत माला (१ से ५), धून-ध्यान, आनंद लोके, ॐकार नादध्यानादि (प्र.) इन संगीत कृतियों के उपरान्त बंगला में रवीन्द्र गीतिका, कन्नड़ में रत्नाकर हाडुगळु आदि संगीत में सात एवं प्रवचनों में भद्रमनिजी-सहजानंदघनजी के बावन जितने (कल्पसूत्र, दशलक्षण-पर्युषण) कैसेट, सी.डी. हैं। पुस्तक-ग्रंथ : सप्तभाषी आत्मसिध्धि . महावीर दर्शन . क्षिए॥५थ साधनायात्रा. उपास्यापदे उपादेयता • Profiles of Parul • Great Warrior of Ahimsa • Why Abattoirs-abolition ? • जनजनका वास्तुसार • श्री गुरुगाथा • श्री नमस्कार महामंत्र • पारुल-प्रसून • पुकारते हैं मूक पशु (काव्य) इन सभी को घर घर एवं जन जन तक पहुँचाने हेतु आवश्यकता है उपर्युक्त सत्त्व-प्रचारकों की । सत्-साहित्य प्रचार लाभ उपरान्त अच्छा कमीशन उनकी नियमित आमदानी का साधन बनेगा/ स्वागत है उन सबका / सम्पर्क करें। (142)
SR No.032332
Book TitleSahajanandghan Guru Gatha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratap J Tolia
PublisherJina Bharati
Publication Year2015
Total Pages168
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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