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________________ Second Proof Dt. 31-3-2016 84 प्रसंग में सब को डूबा रहा था, दूसरी ओर से उनके जीवन के संदेश की और स्पष्ट अंगुलि निर्देश कर रहा था, तो तीसरी ओर से प्रभु-प्रदर्शित आत्मध्यान के प्रदेश में जीवनभर नहीं झाँक सकनेवालों में एक अकल अजंपा, एक तीव्र अवसाद भी उत्पन्न करा रहा था । प्रभु मानों जाते जाते कह रहे थे कि 'अब हम अमर भये न मरेंगे।' तो हम कब इस अमरता का गान गा सकेंगे ? कब महापुरुष के उस पंथ पर विचरण कर सकेंगे ? ऐसी चिनगारी प्रभु अपने जीवनदर्शन द्वारा जगा रहे थे । 'चिंतन', ४ गोविंद निवास, १७९, सरोजिनी रोड़, विलेपार्ले (वे.) मुंबई - ४०००५६. फोन नं. 022-26115435 - • 'प्रबुद्ध जीवन' : जुन 2010. प्रतिभाव : गुजरात में • महावीर दर्शन महावीर कथा • प्रतापकुमार टोलिया - सुमित्रा टोलिया की महावीर कथा- श्रृंखला श्री मधुभाई पारेख, स्वाध्यायकार, श्रीमद् राजचन्द्र ज्ञानमंदिर, राजकोट- 2011 महावीरजयंती दि. 16-4-2011 के दिन बोरडी - दहाणु में जैन उपाश्रय-छात्रालय सागरतट पर शांत वातावरण में यो.यु. श्री सहजानंदघनजी के महोत्सव के प्रारंभ में टोलिया दंपत्ती द्वारा श्रोताओं को तल्लीन करती हुई महावीर कथा के बाद राजकोट श्रीमद् राजचन्द्र ज्ञानमंदिर पर उसकी प्रस्तुति विशेष प्रभाव छोड़ कर गई । श्रीमद् राजचन्द्र परम समाधि दिन महोत्सव निमित्त से गुरुवार दि. 21-4-2011 के प्रातः के स्वाध्याय-सत्र में प्रा. प्रतापकुमार टोलिया का " श्रीमद् राजचन्द्रजी समर्पित यो. यु. श्री सहजानंदघनजी" विषयक मननीय प्रवचन हुआ । उसके पश्चात् उसी संध्या को इस दंपती ने " ध्यान संगीतमय महावीर प्रस्तुत की । सारा ही समय सर्व श्रोता अंतर्मुख बनकर भगवान महावीर के जीवन में डूबे हुए रहे। उसमें भी गणधरवाद की एवं अंत में विनय-महिमा के वीरवचन की उक्तियाँ बाह्यरूप से "आत्मा है, वह नित्य है; है कर्त्ता निजकर्म" और "ऐसा मार्ग विनय का भाषित श्री वीतराग” जैसी 'श्री आत्मसिद्धि शास्त्र' - पंक्तियों की ही स्मृति दिलाती थी । कार्यक्रम संपन्न होने के पश्चात् अनेक ध्यानानंद-विभोर श्रोता कहते रहे कि "सारा ही समय हम प्रभु के जीवन में साक्षात् यात्रा करते हुए कहाँ खोये हुए रहे, उसका भी हमें पता नहीं रहा ।" गुणानुमोदक अनेक संतों वक्ताओं को सत्संग प्रवचनों का भी ज्ञानमंदिर में लाभ प्राप्त हुआ । उनके भी आशीर्वाद मिले। इसके बाद प्रा. टोलिया के वतन अमरेली में भी श्री रसिकभाई शाह जैसे प्रबुद्ध चिंतक और श्री हर्षद वंदाराणा जैसे " गांधी- गुरु श्रीमद् राजचन्द्रजी की आत्मसिद्धि के अनुमोदक" आषु-कवियों की उपस्थिति में भी इस वर्ष की गुजरात की तीसरी महावीर कथा की सफलता के समाचार मिले। = मधुभाई, ३०, श्रीमद् पार्क, रॅइस कोर्स, राजकोट- 1. ('प्रबुद्ध जीवन : जुन- 2010 ) (84)
SR No.032330
Book TitleAntarlok Me Mahavir Ka Mahajivan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratap J Tolia
PublisherVardhaman Bharati International Foundation
Publication Year
Total Pages98
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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