SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 67
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Second Proof Dt. 31-3-2016 - 67 • महावीर दर्शन - महावीर कथा • (Instrumental Music Change.....) (2 गीत : राग मिश्र) "गंगा के निर्मल नीर-सरिखी, पावनकारी वाणी (बानी); घोर हिंसा की जलती आग में, छिटके शीतल पानी । उनके चरन में आकर झुके, कुछ राजा कुछ रानी; शेर और बकरी वैर भुलाकर, संग करे मिजबानी ॥" (Soormandal) (प्र. F) कहते हैं - तीर्थंकर भगवान महावीर की यह धीर-गंभीर, मधुर-मंगल, मृदुल-मंजुल सरिता-सी वाक्-सरस्वती राग मालकौंस में बहती थी... (Instmtl. BGM : Raga Malkauns, Teen Taal) (वृंदगीत M/F/CH) "मधुर राग मालकौंस में बहती तीर्थंकर की वाणी । मानव को नवजीवन देती तीर्थंकर की वाणी । ॥ दिव्यध्वनि ॐ कारी ॥ धीर गम्भीर सुरों में सोहे, सुरवर मुनिवर सब कोई मोहे । शब्द शब्द पर होती प्रकट जहाँ, स्नेह गंग कल्याणी ॥ ॥ मधुर राग. ॥ वादी षड़ज, मध्यम संवादी, बात नहीं कोई विषम विवादी । सादी भाषा, शब्द सरलता; सबने समझी-मानी ॥ ॥ मधुर राग. ॥ 'सा ग म ध नि सां-नि सां' की सरगम चाहे जग का मंगल हरदम । पत्थर के दिल को पी पलमें; करती पानी... पानी... !॥ ॥ मधुर राग. ॥" काव्य-गान "तेरी वाणी जगकल्याणी, प्रखर सत्य की धारा । खंड खंड हो गई दम्भ की, अंधाग्रह की कारा ॥" (- अमरमुनि) (BGM जाग ! तुझ को दूर जाना) (प्र. F) इस अनंत महिमामयी जगकल्याणी वाग्-गंगा को केवलज्ञान के बाद तीस वर्ष तक अनेक रूपों में, अनेक स्थानों में निरंतर बहाते हुए और चतुर्विध धर्म को सुदृढ़ बनाते हुए अरिहंत भगवंत महावीर ने अपने ज्ञान से जब - (गीतपंक्ति M) (BGM : Raga Bhairavi Tunes) "जान लिया कि जीवनयात्रा होने आई अब पूरी । विहार का कर अंत प्रभुजी, आय बसे पावापुरी ... ॥" (67) ।
SR No.032330
Book TitleAntarlok Me Mahavir Ka Mahajivan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratap J Tolia
PublisherVardhaman Bharati International Foundation
Publication Year
Total Pages98
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy