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________________ Second Proof DL 31-3-2016 - 18 • महावीर दर्शन - महावीर कथा . सन्दर्भ: सम्बन्धित अन्य स्व-कृतियाँ : शोधपत्र, पुस्तकादि + सम्पादित कृतियाँ (कुछ अप्रकाशित) (1) महासैनिक (2) अनंत की अनुगुंज (3) दक्षिणापथ की साधनायात्रा (4) कर्णाटक में जैन धर्म (5) कर्णाटक की संस्कृति + साहित्य को जैन प्रदान (6) भद्रबाहु से भद्रमुनि तक (7) Role of Jainism in Vijayanagar Empire (8) वर्तमान के एक परमयोगी (9) उड़िसा के जैन-बौद्ध सेमिनार में (10) जैन एवं बौद्धदर्शन में आत्म-तत्त्व (11) सृष्टि और ईश्वर अकर्तृत्व (12) आत्मतत्व आत्मसिध्धि में (13) ध्यान एवं श्रीमद् राजचन्द्र (14) Meditation & Jainism (15) Jain point of Meditation & Yoga (16) श्रीमद् राजचन्द्र (AIR आकाशवाणी वार्ता) (17) भगवान महावीर के जीवन में महिलाओं का स्थान एवं योगदान (AIR) (18) जैन परम्परा में नारी का गौरवपूर्ण स्थान एवं योगदान (19) जैन संस्कृति की रक्षा और विकास में नारी का योगदान-I (20) महावीर दर्शन में नारी का योगदान (-सुमित्रा) (21) संलेखना-आत्मसाक्षात्कार की आनन्दकला (22) शिकागो विश्वधर्म परिषद में जैनधर्म का योगदान (पं. सुखलालजी लेख + शांतिलाल शेठ) (23) प्रज्ञाचक्षु का दृष्टि-प्रदान (संस्मरण) (24) प्रज्ञा-संचयन (पं.सुखलालजी के चिंतनलेख(हिन्दी में अनूदित) (25) Selected Works of Dr. Pandit Sukhlalji (26) प्रज्ञा-वाणी (पं.सुखलालजी + पं. दलसुखभाई + डो. नथमलजी वाणी) (27) विदेशों में जैनधर्म प्रभावना (28) श्री कल्पसूत्र प्रवचनधारा(सहजानंदघनजी कैसेट + सी.डी.) श्री कल्पसूत्र प्रवचन प्रस्तुति (स्वयंः हिन्दी/गुजराती) (29) दशलक्षण धर्मः (30) अंधेरे में उजाला : ध्यान रहस्य (31) ध्यानस्थ होते थे जब महावीर (32) Mahavera-Magnificent Master Teacher of the World (33) Universal Visionaries of Non-Violence Bhagawan Mahavera (34) ऊर्ध्वभूमि का अनाहतगान (35) परमगुरु प्रवचन माला :पांच समवाय, आत्मभान-वीतरागता, साकार-निराकार, आध्यात्मिकता, समाधिमरण की कला, आत्मसाक्षात्कार का अनुभवक्रम, श्रीमद् राजचन्द्र जीवन आदि २५ अन्य कैसेट-सी.डी. का सेट : सहजानंदघनजी की प्रबल अनुभूत वाणी में (36) अमरेली से अमरिका तक (37) जनजनका जैन वास्तुसार (38) पारुल प्रसून (39) Profiles of Parul (40) संपादन-अनुवाद : द्विभाषी आत्मसिध्धि : श्रीमद् राजचन्द्र (41) सप्तभाषी आत्मसिद्धिः श्री.रा. (42) पंचभाषी पुष्पमालाः श्री.रा. (43) स्वयंलेखन सर्वोदय एवं समग्रता से सप्तभाषी तक की विमलाजी की जीवनयात्रा (44) अंतर्यात्रा-विमल सरिता सह (45) Voyage within with Vimalajee (46) स्थितप्रज्ञ के साथ (विनोबाजी सह) (47) गुरुदेव के संग (मल्लिकजी) (48) प्रकटी भूमिदान की गंगा (49) दांडीपथने पगले पगले (50) पावापुरी की पावन धरती से (51) जिनभक्ति की अनुभूतियाँ (52) संतशिष्यनी जीवनसरिता (53) Saints of Gujarat (54) Jainism in present Age (55) Jainism & India (56) विश्वमानव श्रीमद् राजचंद्रजी (57) Why abattoirs-Abolition ? शताधिक में से चन्द प्रमुख रिकार्ड/कैसेट/सी.डी. कृतियाँ : (1) आत्मसिध्धि (2) राजपद (3) परमगुरु पद (4) महायोगी आनन्दघन के पद (5) अनुभववाणी (6) महावीर दर्शन (7) वीरवन्दनाजिनवन्दना (8) भक्तामर स्तोत्र (9) ध्यान संगीत (10) प्रभातमंगल (11) जयजिनेश (12) आत्मखोज (13) आनन्दलोके । ॥ ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥ (18)
SR No.032330
Book TitleAntarlok Me Mahavir Ka Mahajivan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratap J Tolia
PublisherVardhaman Bharati International Foundation
Publication Year
Total Pages98
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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