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________________ नामकरण पट्टा किस नाम का बनाया जाए यह प्रश्न उपस्थित होने पर श्रीमद् परमकृपालुदेव के अलौकिक जीवन से संबंधित कुछ वर्णन करके उनके प्रति सबका आदरभाव उत्पन्न करवाया और बाद में 'श्रीमद् राजचन्द्र आश्रम' के नाम का पट्टा करवाना ऐसा निश्चित करवाया गया। इस प्रदेश में तथा प्रकार के प्रचार के अभाव से परमकृपालु के प्रति कोई श्रद्धा भक्ति रखनेवाला नहीं था, परन्तु इस देहधारी के प्रति पूर्व परिचय के कारण कुछ लोगों को विश्वास होने के कारण उन्होंने वह बात मान ली। विक्रम संवत् 2017 के आषाढ़ शुक्ला एकादशी को अत्यंत उल्लासपूर्वक इस ‘श्रीमद् राजचन्द्र आश्रम' की स्थापना हुई। गुफा मन्दिर में परमकृपालुदेव के चित्रपट की स्थापना की गई और ट्रस्टी मंडल गठित किया गया। निर्माण कार्य आगे बढ़ने लगा। पूर्व जन्मांतरों में परमकृपालु, श्री तीर्थंकर देव आदि अनेक महाज्ञानी सत्पुरुषों के उपकार के नीचे यह देहधारी दबा हुआ है। उनमें से दो सत्पुरुषों का उपकार इस देहजन्म में बार-बार स्मृति में आया करता है। एक स्वलिंग संन्यस्त युगप्रधान श्रीमद् श्री जिनदत्तसूरिजी, दूसरे गृहलिंग संन्यस्त युगप्रधान श्रीमद् श्री राजचन्द्रजी और इन उभय ज्ञातपुत्रों की इस जन्म में बार-बार असीम कृपा का अनुभव करती हुई यह आत्मा मंद गति से फिर भी सुदृढ़ रूप से आध्यात्मिक उन्नत श्रेणी पर आगे 18
SR No.032315
Book TitleUpasya Pade Upadeyta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratap J Tolia
PublisherJina Bharati
Publication Year2013
Total Pages64
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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