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झवेरी (जयपुर) ने आ उपकारक वाणीने पकडी लेवान-टेइप करवानुं श्रेय सांपडेल छे. आ बंने स्वजनोना अनेक रेकर्डीगोने आधारे तैयार करेली आ परमगुरु प्रवचनवाणी श्रीमद् राजचंद्र आश्रम हंपीना अधिष्ठात्री आत्मज्ञानी पूज्या माताजीनी प्रेरणा अने आशीषथी हवे पुस्तिका स्वरुपे पण जगत समक्ष आवी रही छे. क्रमिक प्रवचनमाला रुपे प्रसिद्ध थनार आ प्रथम पुस्तिकाना प्रकाशननुं भावभयु दान, सद्गुरुदेवना बोरडीना स्वनामधन्य-युवान भक्त श्री प्रफुल्लभाई पुनमियाए आप्यु छे, जे अन्य अनेकोने तेवी प्रेरणा आपशे.
वर्धमान भारती बेंगलोर द्वारा, पूज्य माताजीनां आज्ञाआशीर्वाद अने आश्रमनां सहयोगथी संपादित प्रकाशित केसेट-कृतिनी साथे आ प्रवचनबाणीनुं अवारनवार वांचन-श्रवण एक अनेरो अनुभव करावशे. आ रीते आ परमगुरु प्रवचनोने हृदयंगम करी आत्मशुद्धि अने आत्मज्ञानसिद्धिनी दिशामां एक डगलं आगळ भरवानी अनेकने प्रेरणा मळशे एवी श्रद्धा छे.
अनेक विषयो परनां आवां अनेक विविध प्रवचनो उपरान्त " श्री कल्पसूत्र " जेवा पावन श्रुतग्रंथ परना स्याद्वादमय समन्वय शैलीनां प्रवचनो जे बघां केसेट टेइप रुपे बहार पडी चूक्यां छे ते हवे क्रमशः पुस्तिका रुपे पण महापुरुषोनां योगबळथी आश्रम द्वारा प्रकाशित थशे. आ प्रयासोनी उपयोगिता- मूल्यांकन साधक