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केनेडा के टोरण्टो में सन् 1997 में जुलाई मास में आयोजित द्विवार्षिक अधिवेशन में कुमारपाल को प्रदान किया गया । मूल्यनिष्ठ साहित्य-सर्जन के लिए दिल्ली की अहिंसा इण्टरनेशनल संस्था ने 'दीप्तिमल आदीश्वरलाल लिटररी एवॉर्ड' तथा दिवालीबहन मोहनलाल मेहता ट्रस्ट ने विशिष्ट सम्मान प्रदान किए हैं । सन् 2001 में भगवान महावीर की सन् 2600 वीं जन्मकल्याणक समिति की ओर से जैनदर्शन और जैन कला-साहित्य प्रसार के लिए उत्तम योगदान देने वाले 26 व्यक्तियों को प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी के हाथों दिए जाने वाले 'जैनरत्न' एवॉर्ड के लिए आपका चयन हुआ ।
समग्र जैन समाज की 112 वर्ष पुरानी अखिल भारतीय संस्था भारत जैन महामण्डल ने जैन समाज में यशस्वी प्रदान करने वाले और प्रेरणादायी तथा पथ-प्रदर्शक व्यक्तित्व के रूप में जैनत्व को गौरवान्वित करने वाले आप जैसे सम्मानित प्रतिभा को सर्वोत्कृष्ट अलंकरण प्रदान किया गया है। चैतन्य काश्यप फाउण्डेशन के सौजन्य से आचार्य महाप्रज्ञ जी की पावन उपस्थिति में भारत जैन महामण्डल द्वारा प्रदान किए जाने वाले इस सर्वप्रथम एवॉर्ड के लिए साहित्य, शिक्षण, पत्रकारत्व, धर्मदर्शन और समाज सेवा के बहुविध क्षेत्रों में उत्कृष्ट योगदान देने वाले डॉ. कुमारपाल देसाई का चयन किया गया। 23 मार्च, 2003 के दिन भव्य समारोह के अन्तर्गत जैन समाज का यह सर्वोत्कृष्ट अलंकरण मुंबई में प्रदान किया गया। पिछले 35 वर्षों से जैनदर्शन के प्रसार कार्य को इस आराधक ने प्रवचन, पत्रकारत्व, साहित्यसर्जन और धार्मिक प्रवृत्तियों से सभी क्षेत्रों में एक विशिष्ट प्रतिभा द्वारा नया प्रारूप प्रस्तुत किया है।
खेल क्षेत्र में भी कुमारपाल देसाई कुशल समीक्षक रहे हैं। गुजराती, हिन्दी, अंग्रेजी एवं मराठी में प्रकाशित 'भारतीय क्रिकेट' एवं 'क्रिकेटना विश्वविक्रमो' तथा 'क्रिकेट रमतां शीखो' भाग 1-2 की लाखों प्रतियाँ छपी एवं खेल प्रेमियों ने खरीदीं। कई सालों तक 'रमतनुं मेदान' और
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