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________________ (या युं पूनभनी यात्रा : नियमधी तिर्थस्थगोनी थानायोमासाभां धोधमार परसाहमां री शायरी योमासानां धोधभार परमामा, पूनमना नियमथी तिर्थस्थणोनी यात्रानां नियमा तानीसोमे घटनापीने मायां संगोमां यात्रा जराणपातुं हे कोडाराणाडे तेमा पिराधिनानक प्रमाणाः . पुष्टण छे. व्रेवी रीते, रोल प्ल श्वानां नियमवाणाने पौधधना पिसे पुष न उरयां द्वारा नियम जंडित उपार्नु पाप लागतुं नथी, तेवी रीने खा नियममां पएविराधनाथी जयपां माटे छूट लेवाती महोपाधी नियम पंडित थतो नथी. पणी, तिर्थयात्रा विगेरे भाटे पएspedal पाहुन उरवानी न्याने दवाब बस-ट्रेन "नो उपयोग पायी पा पिराधिना मोछी थाय छे. भाटे सानो पास विपेड शणीने निर्णय सेवो. मा रीते, खापणां रोजेंधा नुपनमां यालती, सपडायनां - ससंध्य गुपोनी जिनकी वrrect-indirect विराधनाथी जयपानो राज्य मेटलो पघुमां पधु प्रयत्न पो. झापशेने ? - - नपाय अपनी पिलाय समाप्त (THE END) :~
SR No.032283
Book TitleJeevvichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJ R Shah
PublisherJ R Shah
Publication Year
Total Pages392
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size14 MB
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