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________________ No. Date . . कल पर्छ नारीमांगविधभान छे. ( पीपां मारी। उहाणेलुं पाणी वापरषां डरतांया डायूं पाएगी को पापरवामा घएगो मोटोोधासागे छे. मने डायुं पाएी यापरषां नांया, छीन्द्रनुं पाएगीहंडो जरा रजत, डो डेरीनो रस छिनाणामांपोरे पापरवामां घाएगो पधारे होप सागेछ. तेथी.,शिष्य होय तो, पतलर माटे, झीलनी ठंडी पस्तुसोनो सर्वथा त्याग डरपोकामारोग्य माटेगपए सतिशयाहानिहार छे. पर पायनतम धीरे-धीरे डरीने जगडी लय छ। समापाशीनारंगीना यासं झरएगांधोपावाहिन्यां वा भणे, नेयां इस्पानां स्थगोमा पहा न्याय नहीं, पाणीधी प्रशंसा डराय नहीं मने मनधी सेशभान पाएगमाडाय नहीं खापी भगृति ने नरमायातो मसंज्यपाएीनां बोनी विराधनानो , खनुमोहनानां माध्यमे लामय छे.. खाषां पाएगीनां धोधनेवां गियांगमने लेने को पाएगीगहारा प्रशंसा डरतां अथपा भनधी अराकन्द गमाइती पणते ने माप मापता लपमायुष्याधाय ,तो योझसपए भाछटानां लपमा अथवा खेडेन्द्रियपी सपडायनां लयमांगास्नापडाने डाई न्युं पडरो, यालरी ने। आषां पाहीनां प्रवाहाचोधाइचारपोरे मेऊने रानुनथी थपार्नु, परंतु, प्पी हयथीथती मसंज्या पाएगीनां योनी हिंसा भाटे, हत्यमांडपालापलापपानो छ सने पियारपाडे,"ल्तडागनी डोडा ललनांसीधे दुर्भजांधीने, जियारा सा गुपो हम खेडेन्द्रियपणाने पाभ्यां छपने सा पेनाने सनुलवी रह्यां छे. लूतहासमां, मात्म-नगृति युहीने, हौशे-होंशे पहिंसाभां जेडापाने. सीधे, सापां खपडाय तरीडेना सनंता लपो, में पए-मारामात्मामे) धारा डर्या हशे . होरी, आत्मनगृतिायडीने, हुमा पाएीनां अयोनी हिंसानी मनुमोहना ने કરી (વાણી વારા પ્રશંસા કરીને અથવા મનથી ગમાડી), તો लषांतरभातमारे इरी-करीने मार पाएगीनांनुप तरी अजनमत पडशे.. शुंध्यालरो?" माना । (२२) यातापरहामान्यारे घुम्मस होय, त्यारे धरनी बहार नीण नहीं. घरनां तमाम नारी-जारएमो परी हेयां. KOKUYO W-NB280U
SR No.032283
Book TitleJeevvichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJ R Shah
PublisherJ R Shah
Publication Year
Total Pages392
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size14 MB
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