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________________ (42) (1) खपडायनां भवोनी विराधनाथी जयवानां उपायो : पाएगीनां खेड टीयामां असंख्य भषो होवां छतांय, आएगीनां वयराश विना, खाप खायागुं भुवन रहावी राडीजे नहीं खेटले, पाणीनां भुवोनी विराधना तो दुखी व पडशे, थपानी ४. छे. पाएगीनां भवोनी विराधनाथी पूरेपूरा लले न अयाय, छताय, डाजम राजीखे तो, भुवनमां यालती जिन३री पाएगीनी विराधनाथी तो १००% जयी शाय छे. तरस छीपावयां भाटे, अयां पालीनी विराधना डरवाने बहले, उझोलुं पाएगी वापरवानां घएां सालो नीये प्रभाएगे छे : [A] तरस छीपाववानं अर्थ पए। सिद्ध थर्ध भय खने भुव विराधनानो दंड पए। खोछो जागे छे. अराग डे, अयां पाएगीमां, सतत, नवां- नवां भपोनी उत्पत्ति यासु ४ रहे छे. भ्यारे पाडां पाएगीयां तो खेड वखत उडानी तीघां पंछी, सतत ने सतत यालती भुषोत्पत्ति खरडी भट भय छे. नवी भूषोत्पत्ति थती नथी. [6] डायुं याली, भुव सहित अवस्थापाएं पाएगी होवाथी, ते वायरवामां हयनां परिणामी पधु डहोर जने छे. उडालेलं पाणी वापरपाथी, हृदय ओमण जने छे, खेवो अनुलव या घर्ध शडे, उडानेतुं पाएगी शर य जाह, १५-२० हिवसे, सूक्ष्म दृष्टिसे मे नोंध सेवाय तो ज्याल खावशे डे, पहुंलां डरतां हुवे विचारो वधु सारां खावे छे (वं खन्न तेंयुं मन. प्रेम जोराउनी खसर खायगां पियारो पर पडे छे, तेम पालीनी खसर पाए। खापएगां वियारो उपर पडे छे. पाएगी या खेड प्रहारनो खाहा छे.) कोधाहितां नज परिणामो पाड़ा, उडानेलं पाएगी यालु दर्यां जाह धीरे-धीरे डरीने घरी तां भेवा मजरी. खेटले ४ उपाय छेडे, भेवो खाहार तेपो खोडडार' हा.तु.: 4 माछसीखोनी विराधना डरनारा जे ... मुसलमान लार्थ: खेड लाई, भरमांधी यांथमरेली मछली साये रखने रांधे भ्यारे जीने लाई, जभरमांधी यांय भवतीतरइडती माछसीखो सापे, तेने मारे जने पछी रांधे. जनने भुवहिंसाना पाय तो लागे ४. परंतु, जीभ लाईने पहेला लाई
SR No.032283
Book TitleJeevvichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJ R Shah
PublisherJ R Shah
Publication Year
Total Pages392
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size14 MB
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