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________________ 3८0 3 No. 1 Date (८) विवृत योनि : के योनि उघाडी होय, ते विवृत योनि उहेवाय. घ.त, : ग्वाशय - ते भुवाने उत्पन्न थवानुं स्थान छे खने उधाडु होवाथी स्पष्टपलो भेर्ध शडाय छे. (c) संवृत-विवृत योनि : के योनि डेटलेड अंशे ठंडायेली जने डेटलेड जंशे उघाडी होय, ते संवृत-विवृत योनि उहेवाय. धत: गर्ल मनुष्य सने गर्लभ तिर्ययनी योनिनो संहरनो लाग ठंडायेलो होय रखने जहारनो लाग हेजाती होय. इंज खेडेन्द्रिय, बेर्धन्द्रिय, तेर्धन्द्रिय, रिन्द्रिय, संमूर्च्छिम तिर्यय पंचेन्द्रिय रखने संमूर्च्छिम मनुष्योनी योनि सयित्त, खयित्त खने सयित्तायित्त - खे प्रलोय प्रहारनी होय. छे.. गर्लभ तिर्यय पंथेन्द्रिय खते गर्लन मनुष्योगी योनि सयित्तायित्त खने संवृत-विवृत खेटले डे मिश्र ४ होय नार रखने हेपोनी योनि खयित्त ४ होय छे.. छे! १ हेवो, गर्लभ निर्यय पंयेन्द्रिय जने गर्लन मनुष्योनी योनि शितोषण होय छे. परंतु १ नार5 भवोनी योनि शीत: अथवा उष्ठा होय छे, शीतोष्ठा होती नथी. (a) रत्नग्रला, शर्डरायला रखने खेटले पहेली प्र वालुायला नरडमां ने नैरयिडोना उपयात (उत्पन्न थवाना) क्षेत्रो छे, ते जयां शीत परिणामे परिएात छे. खेथी, त्यां उत्पन्न धनार नारडीनां भवोने उष्ठा बेहनानो अनुलव थाय है. (b) पंड प्रला (योथी) खने धूमप्रला (पांयमी) नरडमां, डेटलांड उपयात क्षेत्रो शीत छे खने डेटलांड उपयात क्षेत्री उष्ठा छे. तेथी त्यां, अनुक्रमे, उषा जने शीत बेहनानो अनुलव थाय छे. (c) तमः प्रला (छड़ी) जने तमस्तमः प्रला (सातभी) नरम जां न उपयात क्षेत्रो उष्ठा योनिवाजा छे, खेटले त्यां उत्पन्न थनार नारकनां भवोने लयंडर शीतपेहनानो अनुलव थाय छे. मानव स्त्रीनी योनिना 3 प्रकार छे : 4 (१) डूर्मोन्नत : डायजानी पीडनी नेम अंथी होय (2) वंशीपत्र : पांसना जे संयुक्त पत्र ठेवा खाडारनी होय (3) शंजावर्त : शंजना नेवा खापर्तवाणी होय. KOKUYO W-N8280U
SR No.032283
Book TitleJeevvichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJ R Shah
PublisherJ R Shah
Publication Year
Total Pages392
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size14 MB
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