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________________ No. Date 342 ત્યારબાદ, ते हरेड इजियां खाहिने उपडांथी व्यवस्थित लूंछीने यूरेपूरां डोरां डरीने डोर्घ छांयडावाला स्थानमां व्यपस्थित राजी खापवा, मेथी अर्धना पग नीये डे गाडीना टायर नीये न खापी भय ते रीते. (30) सामायिङनी भेड - पुभनी भेड पायर्यां जाह, घडी बाजीने तरत ४ भूडी न हेवाय. परंतु, परसेवाथी लीनां थयेस ते पस्त्रोने सूडापीने यछी ४ घडी दुराय.. खायुं भे न राय, खने लीनी परसेवापाणी भेंड खंडेलीने मे राजी हेवाय, तो ४८ मिनीट ते परसेवांवानां पस्प्रोमा असंख्य संमूर्च्छिम मनुष्य भयोनी उत्यत्ति शर धर्ध भय छे. खने भ्यां सुधी ते पस्त्रो न सूजय त्यां सुधी तेमां संमूर्च्छिम भुवोनी उत्पत्तिनो सतत पधारो थया राजे छे. जाह, (39) पारंवार Wash-basin अथयां जाथश्ममां भेलां हाथ-पगने घोपानं मे थाय, तो ४८ मिनीट जाए, अगर मे भेलुं पाणी न सूडाय, तो तेमां असंख्य संमूर्च्छिम भषोनी उत्पत्ति धर्ध भय छे. (32) मेलां परसेवावाणां, लीनां जूट - भोभं तथा उनाणामां सूर्धने उध्या जाह, परसेवाथी लीनां थयेलां तड़ियां-गाही याहर खाहि भे ४८ मिनीटमां न सूडाय, तो तेमां या असंख्य संमूर्च्छिम पंयेन्द्रिय मनुष्य भवानी उत्पत्ति थाय छे. तेथी परसेवाथी अथवा परसाहमां लीनां थवाथी, लीनां धयेल जूटने डोरां उपडांथी लूंछीने सूडपी हेवा. तेभर तडिया खाहिने पएा तडडे सूडवी हेषाधी, संमूर्च्छिम भुवोनी विराधनाथी जयी राजाय छे.... लग्न संसारमां पति-पत्नी द्वारा थनार, खेड पजतनी संलोगनी प्रक्रियामां, बेलाज थी नव लाज भेटला संमूर्च्छिम मनुष्य भवानी उत्पत्ति तथा विराधना थाय छे. तेथी, भे शड्य जने तो, श्रावडोखे लग्न प्रसंगोमा न्युं ४ नहीं. उहाथ धुं न पड़े, तो डरनार भेडीनी प्रशंसा तो लूलथी पाए। न दुखी रखने मनथी गमाडवी पए। नहीं, डारएग डे, लग्न भवनमा भेडायां जाह, ते भेडसा (डपल) द्वारा, जनेडवार धनार संमूर्च्छिम भुषोनी विराधनानो दंड, प्रशंसा डरनारने या लागे छे. खेड वजतनी प्रक्रियामां ने रसाज थी C. साज संमूर्च्छिम पंचेन्द्रिय भुवोनी विराधना धती होय, तो संपूर्ण लग्न भुवनभा तो खा भुवोनी हुए विराधना डेंटली थाय ते (33)
SR No.032283
Book TitleJeevvichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJ R Shah
PublisherJ R Shah
Publication Year
Total Pages392
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size14 MB
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