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________________ Date भने छुट्यवृतनी प्यपस्था होया, ते क्षेत्रने 'मर्मलूभि' हेपाय छे. युगलिडो रिछत वस्तुमा इस प्रहारनां उट्पवृक्षायासैथी भैणपीछे. मे डे, खंतरद्वीपमा पा सर्मलूमिनी नेम युगलिडाटि व्यवस्था छे. छतां ते सपा समुद्रमा होपाधी मने तेनी थारे तर पाणी होपाथी ते संतरद्वीपनां नामे मोणप्नाय छे. खाम, मनुष्यलोऽमां खागण नएाप्यां मुलम १०१ क्षेत्रो माया छ. मा १०१ सेत्रोमा मनुष्योनो पसपाट होपाथी मनुष्यनां पा लेह थाय. खा भनुध्यो जे प्रहारे छे : (गर्ल सने संभूमि (गर्ल : माता-पिताना संयोग द्वारा उत्पन्न थायते संभूर्छिम भाता-पिताना संयोग विना सशुचिमां उत्पन्नधाय ते वनी, गर्लर मनुष्यो पर्याप्ता मने मपर्याप्ता मजे लेटे होय જ્યારે સંમૂરિéમ મનુષ્યો અપર્યાપ્તા જ હોય (પર્યાપતા હોતાં નથી). तेथी,१०१ गर्लर पर्याप्ता _ + १०१. गर्ल सपर्याप्ता + 40t संमूर्छिम सपर्याप्ता सुस | 303] लेह मनुध्यना धाय. प्रश्न: संलिभ मनुष्यो ठ्यां होय? डेवा होया ब्याजः संमूर्थिभः मनुष्योनी नपगाहना था मंगुसनां मसंज्यातमां लाग टली होपाधी , ते यर्मयाथी के सूक्ष्मदर्शी यंत्र परे साधनोधीपएप, जी शहातां नथी. संमूर्थिमा मनुष्यो मानपनीअशुचिमा पर तां होवाधी, ते भानपनी मशुचिमां होय छे.मनुष्यनां शरीरथी छूट पडेलां मणविष्य), भूत, डाननो भेल, मोजनो भेट (पियां), नाऊनी मेट (सेडां मने गुंगा), ,, , पित्त, उल्टी, सेंडपाड , नपनो मेल , शरीरनो भेल, मोही, पर, मांस, कोरे डोपिएा सशथिमा ४८ मिनीट पसार थये, असंज्य संभूचिम मनुष्यो उत्पन्न थाय छे, मने तेमां तेमनी नन्म-मरणुनी परंपरा पाए यात्यां उरती होय छे. संमूर्णिमा मनुष्यो घंयेन्द्रिय पछे, भारे भने पांयेय ईन्द्रियो होय छे, परंतु मन होतुंनधी. तेथी ते मसंज्ञी होय छे...
SR No.032283
Book TitleJeevvichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJ R Shah
PublisherJ R Shah
Publication Year
Total Pages392
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size14 MB
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