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________________ यालो हुपे, स्थावरनां भेडेन्द्रियना) र लेहोभायी हरेक पृथ्वीडाय, खपडायाहि पोनां कुल लेटो डेटलां मने ज्या यां, ते मटाराधी भएपीने, पृथ्वीडाय (कुल लेह ४) : () पर्याप्ता सूक्ष्म पृथ्वीडाय (२) सपप्तिा सूक्ष्म पृथ्वीडाय ग पर्याप्ता. बाहर पृथ्वीडाय ४) अपर्याप्ता जाहर पृथ्वीजय 63 सपहाय (इल लेह ४): (१) पर्याप्ता सूक्ष्म सपाय एमपर्याप्ता सूझ सपहाय (3) पर्याप्ता जाहर सपाय (ह) अपर्याप्ता जाहर मपठाय । तेडाय (दुख ले ४): पा पर्याप्ता सम्म तेडाय एर अपर्याप्ता सूक्ष्म तेडाय (3) पर्याप्ता नाहर तेडाय 3) सपर्याप्ता बाहर तेउडाय पाउडाय डुल लेह ४): (C) पर्याप्ता सम्म वाय र) अपर्याप्ता सूहम पाउडाय (3) पर्याप्ता नाहर पाडाय (छ) अपर्याप्ता बाहर पाडाय छि प्रत्येक पनस्यतिहाय (डुलले): (૧) પર્યાપ્તા બાદ૨ પ્રત્યેક વનસ્પતિકાય (૨) અપર્યાપ્યા બાદ પ્રત્યેક વનસ્પતિકાય
SR No.032283
Book TitleJeevvichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJ R Shah
PublisherJ R Shah
Publication Year
Total Pages392
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size14 MB
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