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________________ २१२ योग्य निडास डरी नांजपो गायांहि पशुखोने पा अवडाबी शाय, डेरीनो रस.. डाढ़ती पुजते, छाल जने भोटलां, पालीमां डुजाडी राजवाथी, माजीरजो यती नथी. सा अजभु भे न राय, ... तो गंहंडी थझाने सीधे, घणी भाजीखो, खाडर्षार्धने खापशे. आजानुमा भाजीखोनो अाजाशाट मे सतत यालु होय, तो जेसवानी- सूपानी- जापानी हे जन्य अर्थ यएए प्रवृत्तिमां, आपने 'जलेल पाए पहोंये, छे, ज (23) (२४) रसोडानां जाटमां, जाथश्ममां डे जाग जने गटरमां, वारंवार भेषां भजतां वांधानो परिचय होने न होय ? जयानड, उमाटनां जुलामांधी बहार धसी जायतां जा नंतुने भेर्धने घणां सोड़ो 7815 गलरांधे भय छि. खातु , जास डरीने, गहडीमांथी उत्पन्न ...... थाय छे. स्सोडामा साइ-सार्ध जसजर न थती होय, खंडवाड पड्यो रहेतो होय, मोरी जराजर साई न थती होया अन्य दुसरो नमा थयां, डरतो- होय, त्यां पांध नही उत्पन्न धर्ध भय छे. पाहा उत्पन्न थर्ध गयां पंछी, तेनो निडाल डरवां माटे, घगां लोडो. पांहानी हवा छघंटे, छे. खा ध्यानी सुगंधधी जेयार्धने, जूীजांयरे लराखेतां पांहारणों बहार खावी भय थे खने पानी नभु खापतांनी साधे ४, तेनां करथी स्पाटप भरी भय छे. खापी हवा छांटखी, ते तो, खायली लयंडर दूरता छे, हिंसङता- नियता ह े. निर्दोष उपायो करवाने जहले, खायां हिंसक उपाय डरवां, खेतो ध्यानं हेवाणुं न गएणाय नीये अहिंसङ, उपायो जतावेल छे : वॉश - जेसीनमा, भोरीमा डे, जाथश्ममां - संडासमां, सतत लीनाश रहेपा न हर्धने, तो पांहा वगेरे भवांतो उत्पन्न न न थाय. सांभे पासगो साझ य जाह, मोरीने जराजर साइ डरपी, पाएगी पूंछी नांजवं जने जावनी भजी उपर तथा खानुजानुमां डेरोसीननुं योतुं डरी हेपुं गटरनां ढांड पे - अंध न राजयां. भ्यारे जोसवुं पडे त्यारे ध्यान राजो. ढांडएएं जोसतां ४ पांहा जहार धसी खापशे. यत्र नीय हजार्थ न भय, तेनुं खास ध्यान राजो.. प्रधानम . इ25डीनां द्रापलामां डेरोसीननां ३-४ टीयां नांजी, तेनुं योतुं रसोडामा डरबाथी, पांध थतां नथी.
SR No.032283
Book TitleJeevvichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJ R Shah
PublisherJ R Shah
Publication Year
Total Pages392
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size14 MB
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