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________________ No. Date २५० ((4) 'पृथ्वी, पाणी, खग्नि, वायुं रखने वनस्पति सिवायनां, प्रस भयो छे, तेनी रक्षा पहा, श्रापडो द्वारां थती नथी. गाडी, स्कूटर वगेरे पाहुनोना बेशम उपयोग पथवाथी, तेनां पैडांसो नीये तो, सेंडडो प्रस भुवोनो संहार थतो होय छे. मडानो कोरे जांधवा - अंधापवामां तो, प्रस भुवोनी खेटली घोर हिंसा थाय छेडे, तेनो डो सुमार नथी, खंड छोडरीखे, छ. दुर्भग्रंथ सुधीनो खल्यास रेलो. हुतो. सगयए। थयुं खने डोर्घ डाएंगे, सासरियामां - गामडे क्वानुं धयुं. त्यां, छाएगां जानीने रसोर्ध जनापवानी हुती. खेड छाएं तोड्युं, ...तो तेमांथी डीडी नीडयो इयमयी गई. 'खायां तो डेटलाय न संहार करने, खा संसारी मुँहगी यसापवानी ! पाय दरीने, संसारनां क्षणिक सुध्नो लोगवषां डरतां, संयम भुवन शुं जोहुँ ?' खायुं पियारी, ते. छोडरीखे, इंड समयमा ४ संसारनो त्यागरी, दीक्षा सर्ध सीधी. 1 , (cs) (ত) D खारे तो, गेस खने बी.जी. शोधार्थ ग़यां छे. तेनी हिंसा तो, छाएां - लाडडां डरतां पा, रखनेड गली पधारे छे. संसारमा रहने, संपूर्ण भवध्या पालवी जून मुरडेल छे. भवध्या प्रेमी होय खने घोरातिघोर हिंसानां पायथी जयवां संखता होय, सेवां पायलीस खात्माखोखे तो, पहेली तडे, खा संसारने छोडीने, साधुभुवननो स्वीकार डरी लेवो भेजे, साधुभुवनमां, पृथ्वी - पाएगी. खजिन्यायुवनस्पति के त्रस भूपोनी, डोर्धनी पए, हिंसा ज्या विना, समग्र भुपन निर्वाह, सुज-समाधि, समता पूर्व दूरी शकाय छे. प्रलुधीरे समग्र हिंसाथी जयपां माटे जतावेजी भुवन पद्धति खेटले 'साधु-भुवन', घर-हुडान पगरेमा, डीडी स्पष्ट हेजाय, तेयुं इलोरींग होवु भेर्धजे. यासतां के कोर्धयए। अर्य करतां पहुंलां जराजर दुखो. रसोडामा सवारे रसोर्धनां साधनोनो उपयोग करतां पहुंलां, थुंक्एगीथी. पुंभे. जारी - जारगां जोल-बंध करतां, घर वगेरे आपटतां, डाजभु नहीं राजो तो, तमाशं हाथ डोर्ध भुवोनो संहार थर्ध शे.
SR No.032283
Book TitleJeevvichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJ R Shah
PublisherJ R Shah
Publication Year
Total Pages392
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size14 MB
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