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________________ No. Date २४८ सहेन दूर, खवापरं स्थानमां, बूनां साडामां मूडी हो. परंतु, 'तडकामां अथवा सोडोनी खपर-क्वर थाय तेवां स्थाने न 4. नांजी हेपाय * डयूरनी गोटीनां द्रावएराथी पोतुं डरवामां जाये, तो मांऽऽ दूर थाय. तडियामां गालामां ३ लरावतां पहुंसां, तेमां डयूरनी जे-ता गोणीजो मूडी हेपाथी पए। मांडड थतां नथी. * (४९) पोताने भारी नांजवा माटे खापेस, भवते-भुवतां पोतानां याभडां उतारवां भाटे खापेल सार्धपणेरे उपर पए।, जंधङमुनि, गभ्सुडुमाल मुनि, कोरे महापुरुषोजे, भात्र ने मात्र, पात्सल्य खने ३ए॥ालाव ४ परसाप्यो छे. जने जीभ जाबु, मात्र जे-त्रा टीयां लोही यूसी? [नार मांडड - मय्छर भाटे, खामगां हृध्यमां उ३ए॥ लावडे उहोर लाप? शांत यित्ते करां पियारसो, तो, ज्याल खापशे डे, 2- वियारो, प्रभुशासननां महापुरुषाने शरमावे सेवां खायलां खायारपर्तमानमा रहेलां छे. 'उध' खेड सूक्ष्म भवांत छे. ते खपावर कभीनमां, हिवालो पर, इर्नीयरमा तथा पुस्तझे जने डागजमां थाय छे. खेडवार उधर्ध थयां पछी, तेनी उत्यत्ति जूज ४ वधी भय छे खने तेनुं क्षेत्र एडयथी जहु विस्तार पामे छे. उधर्ध तो, इर्नीयर- लाङडां तथा अगलने जेतरी न जाय,छे. हिवासने पए। जेतरी जाय छे रखने मानने कर्बरित जनावी हे! छे. खारीले, 'उधर्ध' नामनी खा तेर्धन्द्रिय भुषांतने सौ प्रथम खोजजतां शीजो. त्यारजाह ४, तेनी विराधिनाथी जयवानां प्रयत्नो 'यर्ध राडे. ''धर्ध' नो प्यास ४ न होय, तो तेनी क्यगा दुर्ध रीते पाज़ी शहाशे ? (४८) · उधर्ध थयां पहुंलां के थयां पछी, ड्यारेय यए। पेस्ट इंट्रोलन डरायपुं. पेस्ट इंट्रोल दुराववाथी ढगलाबंध उधर्ध तथा अन्य घएगी, भवांतो ए . खेड साथ, नाश पामे छे. पेस्ट इंट्रोल अत्यंत हिंसठ प्रयोग छे.. सेंडडो - हुभरो निर्दोष भुपोने, घ्या-डेभिल्स छांटीने खेड साथै भोतने घाट उतारी देवा, ते लयंडर प्रक्षानी दूरता छे. ,
SR No.032283
Book TitleJeevvichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJ R Shah
PublisherJ R Shah
Publication Year
Total Pages392
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size14 MB
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