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________________ No. Date D २४५, हजारा खायतां, ते तरत भरी भय छे. साडरवाजा खने यीडाशवाणां यहार्थोथी ते खाडर्षाय छे. खाद्य पदार्थोंबे ढोनाय के पेराय, तो त्यां स्यानङ न, वध्थाजंघ, डीडीखो लेगी धर्म भय छे. तेथी, जाधेयहार्थनां डलियां डे टीयां नीथे न पडे, तेनी पूर्ण डाज सेवी. उहाथ नीचे पडी भय तो तरतष्ठ 1. सर्व सेवां जने दूध-धी पग्रेरे प्रवाही ढोजायां होय तो तरत ४ लीनां पोताथी तेने साइ डरी नांज़र डीडी न थाय अथवा थर्ध गयेस मध्थाबंध डीडीखोने दूर डरपानां उपायो : खाजामा जरासंनी पावडर (डयूरनो पावडर) अथवा हुँडु, हुजहर, राज घोडावन्नो पावडर डे, सिंघालूरानो 'लुडो डे हुलहर + इटडडीनो बुडो (जने सरजा लागे सर्धने) ललरापपाथी, डीडीओो तरत लागी भय छे. हिवेल + सोटनी गोणी जनावीने मुज्वाथी, खोडोमसनी गंधवानुं उपडुं खाध पदार्थाह प्रस्तुनां पासला उपर चरमथवा रंखाबुजानु मूडपाथी, ड्यूरनी गोणीखो मुडवायी, छींडगी ललरावपाथी, खकुजाकुमां जाम योंपडी हेपाथी, राजनी सार्धन डरीने तेनां पर डेरोसीननां टीयां छोटेपायी, छींडलीने पलाजीने तेनी पेस्ट जनावीने हिवाल उपर लगायी हेषांथी, तुलसीनां पाननो लुछो + डपूरनां पावडरने मिश्र पुरीने छांटपाथी अथवा सायां सुजडनो टूण्डो मुडवाथी अथवा खाद्यपहार्थनां डब्बा, पासागनी इरते तेल अथवा हिवेसनी सीटी मात्र डरपाथी, डीडीखो खापती नथी रखने खायी होय तो तरत यासी भय छे. डेरोसीनमा पसाणेल इनां पुमडां मूङवाथी, डढजां के जरागी पर यढ़ेली डीडीखो. तरत ণ उतरी भय छे. रखा जधा निर्दोष उपायों डरपाथी, डीडीखांनी हिंसा पए। ना थायं खने डीडीखो पए। हूर यासी भय. परंतु, तेनां जहले, डीडी दूर करखां माटे, थोङ के लक्ष्मागरेजा के सेमडीस गेमट्ठेसीजनो पावडर वगेरे पापरवाथी, खा पहार्थो कलह खने मेरी होवाथी डीडीखो. तरत न मरी काय छे, तथा तेमने जूज ४ डिलामना पहोंये छे. तेथी खायां द्रव्यो ड्यारेय पापरवां नहीं. (39) 24 यात्री मां पडेली डीडी, निश्चेतन-भरी गयेसी लले लागे, परंतु, तेने भे हम हाथे खांगागीनां टेरवां पर लर्धने, हजवे हाथे सूडां Susां उपर भूडपाथी, प-१ मीनिटमां घएगीवार यालपा मांडे छे. अथवा डीडीवाज़ा पाएगीने हुजवेधी सर्धने गाणी हेपुं, सने प्यारजाह गणएगांने सूत्ववां भारे खेडला राजी हेपाथी, गणएगामां रहे। डीडीखो, थोडी व पारमां यासवा मांड‍ पाशीमा इटहडी खोगाजीने, तेमां दिनार्धनां १०-१५ टीयां नांखीने, तेमां डेरोसीननां ४-५ टीयां नांजीने, ते थाएशीनुं (32) योतुं डरवाथी, डीडीखों 1 JV
SR No.032283
Book TitleJeevvichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJ R Shah
PublisherJ R Shah
Publication Year
Total Pages392
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size14 MB
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