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________________ ४ No. (२११ Date संश मणी न्पो कोई जारना ही-छाश पगेरे लरोसापात्र न होवाथी, पापरयां Gयित नधी. महा भासमान पेरापणना रोड उपायमां, खेड मुनीराष्ठजिरापमान हतां तेमनी तबियत जेषां भाटे, मेड मुसलमान हडीमामाघेला. तेमो निहानौषध माहिनी पात यां पछी, उठतां-हिता ललामएग ड्री,मली-सली लोन नरा लातुपाला स्तेमाला रत रहीयो" मुनिराश्रीसे झुंडे, "मग्छां-जळा, हम ध्यानरो मेमहीने , मेमने रममापी. मेडा भास पछी, शाप इरीहुडीमनुतलियत तपासवां बाप्या त्यारे, तेभए उहता-हतां पूछ्युंडे, ज्या आपने लालुपाटांलीया था मुनिश्री ना पाडी तो, हुडीमण्णुमे ढगुंडे, ही है, लिया होता तोमरछा रहेता लेडिन अजलना नहीं: मुनिश्री पूर्वा, मनज्यों मना कर दिया?' त्यारेहुडीमा माशमां साभेर लेने नाप्युंडे,"मन सीझन नहीं रहा. होली नीडल लाने डेप्मामापाला नुसान पहुंयाता है मन मारा पहला गया है. मैंने जोला, तल लिया होतांती ही रहेतांखेछिन मन लेगडी मरत नहीं है."खरे हवीमडोहां पता है कि, लगवान महावीरने तो रमण साल पहले ही, यहाणात जताही हि, होली जामें साश जल लता, सिलीयेलानुपासां त्याग करना। मेटले डे, मात्र शियाणानां ४ महिनां न, लालुपालो जपे छे, परंतु, ल्यारखा मन जपे। जी डोनीले भारमा, भणे छे, ते तो भाईनी अत्यंत शश्नातनी अपस्था होय छे. तेने पापरपाथी साप हयनां परिणामी घणां ध्याय छे. अत्यंत शश्नातनी सने डोमण सवस्थामा तेने पापर, ते मात्मानां डोभणतानां परिहाभोने डोर मनापे छे. तेथी, तेनो संपूर्णपए त्याग डरयो हितापहछे. मेटले, डायम माटे, मापो 'baby con'न जरीधय , न पपराय. (e) श
SR No.032283
Book TitleJeevvichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJ R Shah
PublisherJ R Shah
Publication Year
Total Pages392
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size14 MB
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