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________________ No. Date गर्भनां बंधनीमाथी छूटपाना भूज्य उपाय इसने छे: नां जो न जंघाय तेनी पूर्ण जगणनगृति : | राग-द्वेष न डरपा द्वारा राप्नपी) र) जूनां Gधायेमां हर्मोने जाणपा भाटे : (खारापना , सापनामा विशेषथी डाj) हा.तः जंधायेला 20 होरडामोथी मुस्त धपा भाटे जे शरतोर्नु पालन | री छे, के नीये मुरुम छ । पण नयां होरखां बांधता सापयां मने नूनां लंधायेला होरडांग्मोने धीरे-धीरे पुरीने घटाइयां- छोऽपां. | भेटले, मा रीते, परनी जे शरतोनुं पालन ऽरयायी, टै समयमांन उर्मोनां बंधनोमांयी धूटीने, यात्मा पूतिया मुस्त थर्ण नशे. सापएो मात्मा, संसारी अवस्थामांधी छूटीने, परमात्मा इपे घर्छ नशे. बोलो, थर्पु छे ने र प्रश्न: पू. साधु-साध्वीने 'संसारी' हेपाय : 'संसारना त्यागी' उपाय? नवाला संसारी पुन, परिवार , पैसो, पार्थ माहि जाह्य पहार्यो इप द्रव्य संसारनो त्याग रेल होवाधी, व्यवहारथी तेमने 'संसारना त्यागी उपाय सने राग-द्वेष-विषय-दुघायाहि उप लाय संसारनो नाश उपायुं हुकु लाठी होवाधी, निश्चयथी 'संसारी' हेवाय. अथवा धर्मग्रंथमा प प्रडारनां संसार = भिध्यात्प, सपिति, उपाय, योग मने प्रमाए डीयां छे. संयम संगीडार रेटा साधु-साप्पी मिष्टयात्य + अविरति इप संसारनो त्याग रेल होपानी मपेक्षा : व्यवहारथी 'संसारना त्यागी' तरी हेवाय सने दुधाय + योग + प्रभा उप संसारनो त्याग ह पूरेपूरी न घपानी सपेक्षा : निश्चयधी 'संसारी' तरी हेवाय. प्रश्नः मात्माने यधु नुसानहार द्रप्य संसार डे लावसंसार ? वाल: द्रष्य संसार डरतांय लाप संसारयी खात्माने पथु नुडसान थाय. डारणाडे, अय्य संसारनी हारी होया छतांय उवज्ञान शड्य छे. परंतु, लाय संसारनां नारा विना, डेवणतान मने मोक्ष तो 'प्राठा डाणमां पाए भेगवयु शय 'नथी. KOKUYO W-N82800
SR No.032283
Book TitleJeevvichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJ R Shah
PublisherJ R Shah
Publication Year
Total Pages392
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size14 MB
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