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________________ (34) स्वारछोम्वास पर्याप्ति: ज्वारंगोश्वासवर्णपाना पुशमोने | गृहए।, दुश्वानी, ग्रहए। उरीनेम्वाय्छोम्घास इथे र परिणामापपानी मने तेनुनमालंपन हाईने दुधानी से प्रभारनी रास्ति, ते 'श्यारछोग्यास समाप्तिाहेबाया सातपर्याप्तिशतिना डारगे, , शुवा ग्यास साढे छ भने मूडे छे.(प) लाषा पर्याप्ति: लाघा पर्वाणानां पुद्दालोने ग्रहए। डरयानी, ग्रहए डरीने लाघा उपे परिणमापवानी मने ते मासंजना सहाभूऽधानी, मेड प्रहारनी शन्ति, ते 'लाधा पर्याप्ति हेपाया मा पर्याप्तिनांडारो, पाखोली शंछे. दामन पर्याप्तिा मनोपर्यष्टानां पुलोने गृहएारपानी, ग्राहए जरीने भन ३गपरिएमापवानी मने तेनुं साजन मर्डने भवानी, मेड प्रहारनी शहित) - ते “मन पर्याप्तिापाय पर्याप्तिनां डारो, भनथी पियाराहि डरी शबछे. या पर्याप्तिमा भणपतांकनपने उत्पत्तिनां प्रथम समयधी अंतर्मुहर्तनो डाण लागे छे. पएफ ते पर्याप्तिमो, पनी पासे, मापन पर्यंत रहे छे. रमेशहितसो द्वारा, माहार ग्रहएा, जलमने रसाइपान घj, रसमाथी सातांधातु३प शरीर जनयु, रोमांधी इन्द्रियो जनधी, प्यासपेवा-हवा, पाणी व्यवहार डरपो, भनधी वियारयुयाहि थर्ण शडे छे. ले मापी शन्तिमओपभेगक नहीं तोजसस्तिनांव्मलाये, उपराप्यां भुटानी, वन ल्यवाभाटेनी गरी हियामा, दुई रीते थई राहे? प्रश्नः मा पर्याप्तिसो जुप डेवी रीते अने ज्यारे भेगवे छे? बधी पर्याप्तिमोशून्ने साधे भेणषेछ४पालः पउत्पत्तिनां प्रथम सभयथी , साहारनां पुहालोने गए। उरे थे. मेधी, मा पर्याप्तिलो भेगपपानी शरणात, उत्पत्तिनां प्रथम समयधीन, शर थर्छ नया छे. मठे, पुलोनां
SR No.032283
Book TitleJeevvichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJ R Shah
PublisherJ R Shah
Publication Year
Total Pages392
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size14 MB
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