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________________ No. १५८ Date लक्षिमापसाराभांसार होया छतांच जाडोना माणसाप्ययवाभाटे, elet-tonsilsi HitHit gchin sansar catect भाट नामारे पानी निषेध प्रमुख डा छे.तेथी,डागनु-प्राप्ति पूर्वष्ठ व्योमाता पूर्वसह पट्टपट भरा हटयो,मानंतानुयोनी पिराधिनाथीधरनां तयां जिन धासस्यौने अयायानो भोटो साभ भी शाडे भने प्र.साधु-साध्वीनी भुपातननां लाभ चापंथित नरहेj पडे. जिन घोस सीस-निगोष्ट लिपी योश-पक्षार धान लीधे, धारेधारे उरीयानां चमियामी होय.त्यायामातनां ध्यिमोमां, सी यी स्याटप्यारे उजन्यानापनेमागाटयमांतीद्धी ने धार-धारे उरीने नीला ,यानां सुडोभण परिपुमो होर-नीर घळश्यानी मोटीनुमानी अप्पडोमोटोपी .शारीने नापीओ ने गरा झुठोर रीनालयीपछी पक्षन्मामाथिइन्प्रतिमा नीशुमनारधनाजो श्वासांय,भाप्त स्थाधानास्तरे,नराधनामां रेडाप्यं छे. परंतुयनां स्शुमनायो साथे,लकामप्यालु थनुनथी.तेयी,सारामांझारी पूनामान्यता प्रायन अव्यय-पुस्तालांयनाटिरा छतांचतेनाभाध्यमे यात्माने सामयो बाम,थयो कोठडते.हामतेपोमधनो नयी.यनां परिप्शप्मोनी मा होलानां संस्ठम्यो, सायनांमवांचा साथै भाववाी भापता मांडण्य अपंत परमात्मा सीमंधर स्वामीनी पैगाथसमय हेशनामशुषिट झेशमा कोसांभया भावो तो त्यां पष्ठध्याना प्रमुनी राष्ट्रकोनीने अSETClzानो उत्साह,सपायां नामाने होतेथी. लीप- निष्पर व्यापायी भावसालमi नही परंतुलारामा पानापामामाने मोटी नुश्मानी ठप्पी पिठे, तेव्याध्यता छे. . सारे जनसाव्याटपरी माटि पाठ धावार्थी मां शालीने जी टिटा वापण्यायी,ते पानी निगोष्टकाटिनी उत्पत्तिमा थव्यानी सध्यता छेतेची माहे मनालयी जो ािसे, पा.न .परंतु तेव्हाधियों पपरप्याटवी की.... टाळानंतायोनी हिंसाभांरटेली छैतेयां जयाटांडुंगामाष्टम, भूणा, शरियां कोरेना मोहनप्नो तयाटली वाटायोरेनी हिंसानो स्तर KOKUYO W-N82800
SR No.032283
Book TitleJeevvichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJ R Shah
PublisherJ R Shah
Publication Year
Total Pages392
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size14 MB
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