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________________ No. Date -: विश्वनां मात्र से पस्तु : अप संसारी नुप मुत्तासिहानुय (भापो बधांग समग्र विश्वमा मात्र पस्तुमो छ : 'नुप' सने 'माय'. सापो गमे त्यारे मांज उघाडीने शेने तो, आपने में पए नकर सभा हेपारो, ते तो 'ब्लुप हो, तो 'मनुष' हुशे . मालेपहार्य सियायनी नीलडोईपए पस्तु मापाने नहेमाय. साबे वस्तुस्रोमांथी , या ग्रंथनां तो सापाने 'भुप' मंग विशेषयी माहिती भेगवधी छ, परंतु 'सलवासंगे नहीं. तेधी, 'नुप' सोनी पियारएप हुये मापो श३ उरीगुं. अपना मुध्य प्रकार छ : 'संसारी' सने 'मुन्त'. तमाथी 'भूत'ना यात्मामो तो भोसे पधारे होवाधी, तेमने पए। डॉde मां राजीने, 'संसारी' योना लेहो भएापा, आप मागणी इये, संसारी' लुपनां पहले प्रहार : "स्थापर' खने 'प्रस'. स्थापर (मेडेन्द्रिय) जुयोनी दुनियानी वियारए। र्या जाE, माघ उस लयोनी दुनिया अंगे मसर वियारशुं हये सौ प्रथम जवनां ने प्रारी : 'संसारी' मने 'भूत' जुयो संग डि पियारी. संसारी नुपनी प्याज्या : मनो खात्मा, मेथी हा बंधायेसो उथपा दुर्मना पाहणोथी हल टंडायट छे + रेमनां यात्मानां मनंता गुएरो हड रेप प्राट थयां नधी हर्मइपी पाहणोथी ढंडायेस होपाथी) + रेखो सिद्धपह-भोक्षने पाभ्या नधी + यार गति उप संसारमा भर्नु रजडवार्नु परित्नमए) हुन् या छे, ते अपोने "संसारी न्नुयो हेपाय. भुक्त्त जपनी प्याघ्या: - "संसारी लपा उरतां तद्दन उलटी प्याल्या. जेटले डे, हे योगे डायम माटे सर्व हर्मोनो नाश डरी नाम छे अथवा
SR No.032283
Book TitleJeevvichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJ R Shah
PublisherJ R Shah
Publication Year
Total Pages392
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size14 MB
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