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________________ Date ( ( प राधी माहिण-जय भाटे पए, गाना नियम माग पडे छे. तेथी, डलीार टूधी खाहि मधुपधराया जानेवधी पडे तो, मनुईपाहान डरी राहाय. परंतु, यधी गयेल वनस्पतिने ड्रीमा राजीने लीनं हिपस वापरी न शहाय. सांसारि जम्नाहि प्रसंगोमां, सम्ननां स्टेन्द्र साहि, लरयड सोथी सनपवामां खाये छे. लूटायी पए, खासनपटनी प्रशंसा पापी द्वारा नशय तथा मनधी गमाडाय पए नहीं ले प्रशंसा मथवा गमाडवानी लूलाडरो,तो सलपवा माटेपपरायेल, मोटो प्रमाणामां थयेस पनस्पतिनी-विराधनांनोडलाशी जय,छमनुमोहना द्वारा प्रापडोरमेम्पोतानां संतानोनां मनाहि प्रसंगोमा पए, सनवपा माटे या रीते दाहि पनस्पतिनी विशपिनामां नेडापुं न लेखे. रेमा जापानं थोई सने ईडी हेपानउपधारे होय,तथा ने नापाथी तृप्ति थती नयी शहित प्रणती नथी, परंतु, मानस्वाहने पोधयां भाटे पपरातां होय, तेयां इगोने, ज्ञानी लशपंतोये, तुरछणो' मलाया तरी ओणमाप्यां छे. तेथी, श्रापडोमे मायां इणोनो त्याग हरयो नेगे.. हस्तः सीताइण, जोर, नमुना, 'यही जोर पोरे पोरे. सापां इणो पापा जाए, तेमनां हणियां इंडता, तेनी उपर डीडी पोरे तुमो मापपाथी, विष्लेन्द्रिय योनी पहा विराधना पाछणधी धाय छे. मोटनाणीनेहणियांमहाराहाट्यांगहोपाधी, तेहां हेपाय छे. सापां हां हणियाभां, भीनीट जाए, तेमा संमृझिम पंयेन्द्रिय योनी पर विशेष उत्पत्ति अने. विराधना थाय छे..अपरपर डरनारां टोडोनां पानीये, हगियां ड्यडातां, ते डीडी साहितेम संमूर्छिमयो ,नाश पामे छे. तेथी, ले राज्य मनेतो, तुच्छ इगो - प्रापडोसे, डायम भाटे,यापरयां | नहीं. हाय, छोडी न राडाय, तो पाप- जा, तमामे तमाम, मेंडांगियांसोने प्यपस्थित रीते पाहीयी धोईने, पडांधी, यूछीने प्रशं डोरा हुरीने , योग्य स्थानेईने, नयापूर्वक परवपां. आधी, याप- जाह, डीडी साहि पिडलेन्द्रिय नुवोनी तया संभूझिम पोनी पिराधिना न थाय. नेमावी डाल -नया --
SR No.032283
Book TitleJeevvichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJ R Shah
PublisherJ R Shah
Publication Year
Total Pages392
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size14 MB
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