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________________ ૧૧૫ मध्य रात्रिथी नीये पडवा भांडतुं रंजने बयोर पहेलां तद्दन सूर्य क्तुं पछी, ते ढीलूं थवा भांडतुं खने मध्यरात्रि पहेलां तद्दन टहार धर्ध तुं. बंगाणमां खेड जारेडनुं वृक्ष खेवं हतुं डे, के, रात्रे त्रा वागे तद्दन नीथे पडी क्तुं रंजने मध्याहन् पछी डीलुं थवा भांडतुं जने सांभ सुधीमां जराजर लूं धर्ध भतुं खाने पग, निद्रा खने भगृतिनो लाप समन्वो. : (१३) लय : भवंत प्राणीखो माटे खाहार, निद्रा, लय खने मैथुन - खे यार संज्ञाखो मोरी गाएगाय छे. तेयांधी, खाहार जने निद्रानी, वात उपर खावी गर्ध. हवे लया संबंधी विचार दुरीखे भ्यारे प्राणीने लय जागे छे, त्यारे ते हुंये छे, घशीवार, पीस पए। पाडे छे जने डोर्ध स्थणे छुपाई भ्वानो प्रयत्न करे छे. खामां, भुभुविषा खेटले भुवन-संरक्षागनी वृत्ति मुख्य होय छे. निरीक्षएा तथा प्रयोगोखे खेम जलावी खाम्युं छे डे, वनस्पतिने पण अमुङ संयोगोमां लय 1 लागे छे रखने त्यारे तेनां शरीरमां, अंतर्गत डेटलांङ ईश्झरो थाय छे. सम्भमगीनां पांडांने खापएगो स्पर्श थतां ४, ते खेडहम जीडार्ध भय छे. खाने लय संज्ञा समभवी. तेमां सभ्भ थए। भीश्रित होय छे. (१४) मैथुन : मनुष्याहि प्राणीखोनी पेठे, वनस्पतिमां पए।, मैथुन सेज्ञा भेवामां आवे छे. प्राचीन पुरुषोनां स्थन मुन्ज, खशोङ, जडुल, (इएएस, डुरजड, तिलड वगैरे पृक्षो, सालंकार नवयौपना स्त्रीनां पाध्प्रहारथी, तेनां भुजनुं तांबुल नांजपाथी, तेनां सस्नेह खालिंगनधी, तेन तेनां हावलाप उराक्षयुक्त स्वरथीर, कल्ही इज खाये छे. खाधुनिक युगनां पुरुषोखे, खा वस्तुनी, अन्य रीते, पुष्टि डी. छे. तेजो उहे छे डे, पुष्योमां - स्त्रीडेंसर जने पुंडेसरनी- रचना होय छे. ते जनेनो समागम थवाथी इतनी उत्पत्ति थाय छे. ડ્રાન્સ खने घटालीमां, पेसिस्नेरियां जने स्यार्धरेलिश - नामनां नजरोपासो थाय छे. तेनो समागम हेरत पभाडे जेवो छे. भ्यारे, नारी-दूल भजनी सपाटी पर खाये छे, त्यारे नर-दूल पोतानां रोपामांथी छूटुं पडीने तेनी पासे भय छे जने तेने खडतां ४ झटे छे. साथी, तेनो पराग नारी दूलमां पड़े छे. जीभ पाए। डेटलीए वनस्पतिजो विशे, खेवी डे खा प्रडारनी, हुडीङतो नोंधायेली छे. तेथी, वनस्पतियां मैथुन संज्ञा होवानुं सिद्ध थाय छे, खायी संज्ञा, चैतन्य शक्ति विना, डेभ संलपीराडे ?
SR No.032283
Book TitleJeevvichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJ R Shah
PublisherJ R Shah
Publication Year
Total Pages392
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size14 MB
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