SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 78
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ५८ कुवलयमालाकहा का सांस्कृतिक अध्ययन में अन्यत्र भी मिलती है । यह मरहट्ठ प्रदेश आधुनिक महाराष्ट्र को ही कहा गया है। व्यापारियों की भाषा से ज्ञात होता है, वह मराठी भाषा का प्राचीन रूप था। महिलाराज्य (६६-३)-सोपारक का कोई व्यापारी पुरुष लेकर महिलाराज्य गया था और वहाँ से उनकी तौल का स्वर्ण लाया था (६६.३) । प्राचीन साहित्य में 'स्त्रीराज्य' नाम के अनेक उल्लेख मिलते हैं । डा० अग्रवाल ने कुव० के इस महिलाराज्य को केरल राज्य होने की सम्भावना व्यक्त की है। लेकिन प्राचीन समय से स्त्रीराज्य को उत्तरभारत में मानने की एक परम्परा है। महाभारत (३,५१) में स्त्रीराज्य में उत्तर-पश्चिम के लोगों के रहने का संकेत है । बृहत्संहिता (१४-२२) एवं राजतरंगिणी (४,१७३-१७५) में भी महाभारत के अन्य देशों व लोगों के साथ स्त्रीराज्य का उल्लेख हआ है। चीनी-परम्परा में भी महिलाराज्य की स्थिति उसकी सीमा पर बतलायी गई है। वास्तव में हिमालय का प्रदेश, जिसमें गढ़वाल और कुमाऊँ के जिले सम्मिलित थे, स्त्रीराज्य कहा जाता था। सम्भव है उद्द्योतन ने इसी को महिला-राज्य कहा हो। मोनियर विलियम्स ने महाभारत और बृहत्संहिता के आधार पर भूटान को 'स्त्रीराज्य' माना है तथा महिलाराज्य को दक्षिण का एक देश माना है। अतः स्त्रीराज्य भारत के उत्तर में और महिलाराज्य दक्षिण भाग में कहीं स्थित रहा होगा। इनकी आधुनिक पहचान किसी प्रदेश विशेष से नहीं की जा सकती हैं । मालव (५०.८, १५०.२०)--मालव नरेश और दढ़वर्मन् में शत्रुता होने से अयोध्या और मालव के बीच संघर्ष चल रहा था (९.२३)। मालव देश धन-धान्य से सम्पन्न समुद्र जैसा था, जिसमें अवन्ति जनपद था (५०.८) । मालव के छात्र (१५०.२०) तथा व्यापारी विजयपुरी में (दक्षिणभारत) आते जाते रहते थे (१५३.६)। इस प्रसंग के अनुसार मालव के निवासी दुर्बल, आलसी एवं मानी अधिक थे। प्राचीन साहित्य में भी इन्हें कठोर शब्द बोलनेवाला कहा गया है। उद्योतन ने मालव के छात्रों को 'मालविय' कहा है (१५०२०) । प्राचीन समय में मालव के ब्राह्मणों व क्षत्रियेतर जातियों को 'मालव्य' कहा जाता था। मालव जनपद का उल्लेख १६ जनपदों के अन्तर्गत आता है। वर्तमान मालव प्रदेश ही प्राचीन समय में मालव कहा जाता था। यह अवन्ति 9. Mahilarajya was a name applied to several Kingdom, but this was probably the state of Kerala in South India ruled by amagon chiefs. -Kuv. Int. P. 119. Friedrich Hirth, 'China and the Roman Orient, P. 200. ३. In fact, the Himalayan region, including the districts of Garhwal and Kumaun, was known as Strirajya. -B. IAW. P. 113. ४. भगवतीसूत्र, बृहत्कल्पभाष्य आदि में । ५. अ०-पा० भा०, पृ० ९३.
SR No.032282
Book TitleKuvalaymala Kaha Ka Sanskritik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrem Suman Jain
PublisherPrakrit Jain Shastra evam Ahimsa Shodh Samsthan
Publication Year1975
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size34 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy