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________________ ३०० कुवलयमालाकहा का सांस्कृतिक अध्ययन यह सुनकर कामगजेन्द्र ने उस चित्र को पुनः देखना प्रारम्भ किया। उस चित्र की निम्नोक्त विशेषतायें थीः१. उसकी आकृति निद्रा सदश मन एवं नयनों को हरने वाली थी निद्द पिव मण-णयण-हारिणी। २. वह चित्र तिलोत्तमा सदृश स्थिर पलक वाला-(तिलोत्तिमं पिव अणिमिस सणं), ३. शक्ति सदृश हृदयविदारण में समर्थ (त्ति पिव हियय-दारण-पच्चलं), ४. स्वर्ग सदृश अनेक पुण्यों से प्राप्त (सग्गपुरि पिव बहु-पुण्ण-पावणिज्ज), ५. शुक्ल पक्ष के प्रथम दिन के चन्द्रमा सदृश विशुद्ध रेखायुक्त, ६. महाराजा की राज्यवृत्ति सदृश सुविभक्त वर्णों (रंग) से शोभित (महाराय-रज्जवित्ति पिव सुविभत्त-वण्ण-सोहियं), ७. पृथ्वी सदृश स्पष्ट लिखावट-रचना से युक्त (धणि पिव ललिय दीसंत-वत्तिणी-विरयणं), ८. विपणिमार्ग सदृश मान-प्रमाण से युक्त (विवणि-मग्गे पिव माण-जुत्तं) तथा ६. जिनेन्द्र भगवान् सदृश सुप्रतिष्ठित अंगोपांगयुक्त (२३३.२०,२३) था। कामगजेन्द्र को उस चित्र को देखकर ऐसा प्रतीत हुआ मानों चित्रकला में प्रवीण ब्रह्मा ने स्वयं कामदेव के शरीर को तोड़कर उसे अमृत में मथकर स्याही बनायी है तथा उससे यह चित्र बनाया है।' चित्र को देखकर वह क्षणभर को स्तम्भित, ध्यानस्थ तथा प्रतिमासदश हो गया। तदनन्तर उसने पट में चित्रित उस राजकुमारी से विवाह करने की इच्छा व्यक्ति की। तब मन्त्रियों ने उसे सलाह दी कि आप अपना चित्र चित्रपट में बनवाकर इस चित्रकार के द्वारा उस राजकूमारी के पास भिजवा दीजिये। चित्र को देखकर वह राजकुमारी स्वयं आपको वरण कर लेगी। चित्रकार दारक कामगजेन्द्र का चित्र बनाकर उज्जयिनी वापिस चला जाता है (२३३.३०)। कुवलयमाला में उल्लिखित चित्रकला के इस विवरण से प्राचीन भारतीय चित्रकला के सम्बन्ध में कई नये तथ्य प्राप्त होते हैं। इस सामग्री को मुख्यतया दो भागों में विभक्त किया जा सकता है-भित्तिचित्र एवं पटचित्र। इनका विवरण इस प्रकार है: १. भंतूण मयण-देहं मसिणं मुसुमूरिऊण अमएण। चित्तकला-कुसलेणं लिहिया णूणं पयावइणा ॥-२३३.२४. २. तं च दळूण राया खणं थंभिओ इव झाण-गओ इव सेलमओ इव आसि।-२३३.२५. ३. देव, णियय-रूवं चित्तवडए लिहावेसु, तेणेय चित्तयरएण-२३३.२९.
SR No.032282
Book TitleKuvalaymala Kaha Ka Sanskritik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrem Suman Jain
PublisherPrakrit Jain Shastra evam Ahimsa Shodh Samsthan
Publication Year1975
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size34 MB
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