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________________ २६४ कुवलयमालाकहा का सांस्कृतिक अध्ययन कासकुसुमेहिं (२३८.३) = कास का फूल कुड्डालिहिया (१३८.२) - भीत पर लिखित कुहिणीमग्गे (५४.१२) = । रथ्या, मुहल्ला केयरो (१३०.२७) टेढ़े अंग वाला केस टमरइं (७२.३५) = केशसमूह कोडलं (४५.१५) कान का कुण्डल, व्यंतरदेव का नाम कोटि (४६.१८) शस्त्रविशेष कोट्ठय-कोणाओ (४७.१५) = कोठे का कोना खदुआ-मोत्थय (४१.१९) = नागरमोथा खुड्ड (६.७) क्षुद्र, अधम खलु (६.६) दुर्जन, खल खल्लुवकत्तण (४१.३१) = खाल निकालना खलो (६.६) पशुओं का खाद्य, खली खोरं (१७१.१९) नृत्य का कोई पात्र, गली खोरमंडलीओ (७.३०) नटों की मंडली खोहिविजहि (१०१.१४) = विचलित करना गप्पडिया (४४.३३) गर्भ में पड़ा हुआ गयघडाहिं (१६६.९) = हाथी का समूह गामकोडीसो (२८४.३) = करोड़ ग्राम गामिल्लयो (२५०.३५) = गंवार गाम-चडय (११३.७) गाँव के गौरैया पक्षी गाम-वोद्रह (५२.४) = गाँव के तरुण गुडिया (१६६.९) हाथी का कवच, पलान उतारना गुंडियो (११३.१०) = लिप्त गुडेसु तुरंगमा (१३५.२४) = पलान कस दिया गुलेगुलेंताओ (१८.२४) = हाथी की आवाज में हर्ष से बोलना गुणण-धणीओ (८२.३३) = आवृत्ति करने की ध्वनि गोंदी (३२-३३) मंजरी, बौर गोज्जा (४२.१५) गवैया गोलए (१५४.१) गोलक गोसेच्चिय (४८.२) = । प्रातःकाल ही
SR No.032282
Book TitleKuvalaymala Kaha Ka Sanskritik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrem Suman Jain
PublisherPrakrit Jain Shastra evam Ahimsa Shodh Samsthan
Publication Year1975
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size34 MB
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