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________________ १०८ कुवलयमालाकहा का सांस्कृतिक अध्ययन आर्य एवं अनार्य जातियाँ उद्द्योतन के पूर्व हरिभद्रसूरि ने मानव जाति के दो भेद किये थे-आर्य एवं अनार्य । उच्च आचार-विचार वाले गुणी-जनों को आर्य तथा जो आचारविचार से भ्रष्ट हों तथा जिन्हें धर्म-कर्म का कुछ विवेक न हो उन्हें अनार्य या म्लेच्छ कहा है।' उद्योतनसूरि ने भी इस सम्बन्ध में अपने गुरु का अनुकरण किया है । आर्य जातियों के उन्होंने नाम नहीं गिनाये । अनार्य में निम्न जातियों को गिना है : शक, यवन, शवर, बर्बर, काय, मुरुण्ड, ओड, गोंड, कर्पटिका, अरवाक, हूण, रोमस, पारस, खस, खासिया, डोंब लिक, लकुस, बोक्कस, भिल्ल, पुलिंद, अंध, कोत्थ, भररुया (भररुचा), कोंच, दीण, चंचुक, मालव, द्रविण, कुडक्ख, कैकय, किरात, हयमुख, गजमुख, खरमुख, तुरगमुख, मेंढकमुख, हयकर्ण, गजकर्ण, तथा अन्य बहुत से अनार्य होते हैं-अण्णे वि प्रणारिया वहवे (४०.२६), जो पापी प्रचंड तथा धर्म का एक अक्षर भी नहीं सुनते। इनके अतिरिक्त कुछ ऐसे भी अनार्य हैं जो धर्म-अर्थ, काम से रहित हैं। यथा-चांडाल, भिल्ल, डोंब, शौकरिक और मत्स्यबन्धक । इस प्रमुख प्रसंग के अतिरिक्त भी उद्द्योतन ने अन्य प्रसंगों में विभिन्न जातियों का उल्लेख किया है, जिनमें से अधिकांश की पुनरावृत्ति हुई है, कुछ नयी हैं । यथा-आरोट्ट (१५१.१८), आभीर (७७.८), कुम्हार (४८.२७), गुर्जर (५६.४), चारण (४६), जार-जातक (६.११), दास (३९.३), पक्कणकुल (८१.१०, १४०.२), पंसुलिकुल (८२.२६), बप्पीहयकुल, महल्लकुल (१८३.११), मातंग (१३२.२), मागध (मगहा), लुहार (५८.२७), सिंहल (२.९) आदि । उद्द्योतनसूरि द्वारा कुव० में उल्लिखित उपर्युक्त जातियों को उनकी स्थिति एवं कार्यों के.आधार पर निम्न वर्गों में विभाजित किया जा सकता है :(१) म्लेच्छ जातियाँ, (२) अन्त्यज जातियाँ, (३) कर्मकार एवं (४) विदेशीजातियां । इनका संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है : १. शा०-ह० प्रा० अ०, पृ० ३६८, समराइच्चकहा, पृ० ३४८ एवं ९०५. २. सक-जवण-सबर-बब्बर-काय-मुरुंडोड्ड-गोंड-कप्पणिया। अरवाग-हूण-रोमस-पारस-खस-खासिया चेय ॥ डोंबिलय-लउस-बोक्कस-भिल्ल-पुलिदंघ-कोत्थ-भररूया। कोंचा य दीण-चंचुय मालव-दविला-कुडक्खा य । किक्कय-किराय-हयमुह गयमुह-खर-तुरय मेंढगमुहा य । हयकण्णा गयकण्णा अण्णे य अणारिया बहवे ॥ ४०.२४,२६. ३. चंडाल-भिल्ल-डोंबा सोयरिया चेय मच्छ-वंधा य ४०.२९. ४. कुव० २.९, २८.१, ११७.६, १२५.३०. १६९.३५, १८३.११, २५८.२७ आदि।
SR No.032282
Book TitleKuvalaymala Kaha Ka Sanskritik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrem Suman Jain
PublisherPrakrit Jain Shastra evam Ahimsa Shodh Samsthan
Publication Year1975
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size34 MB
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