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________________ के सिद्धान्तों के साथ समालोचना करते हुए जैनदर्शन के योग को स्पष्ट किया है । यह ग्रंथ सभी योगदर्शन के अध्येताओं के लिए समन्वयात्मक दृष्टि प्रदान करनेवाला और अध्यात्म साधन में मार्गदर्शक सिद्ध हो सकता है अत: अवश्य पठनीय एवं मननीय ग्रंथ है । योगबिन्दु ग्रन्थ का प्रस्तुत हिन्दी अनुवाद : योगबिन्दु ग्रंथ का हिन्दी भाषा में अनुवाद करना अत्यंत दुरुह कार्य था । पंडित बेचरदास दोशीजी ने इस ग्रंथ का अनुवाद करने की प्रेरणा दी थी । इस बीच साध्वी मृगावतीश्रीजी म.सा. का चातुर्मास दिल्ली में ही था और भगवान महावीर स्वामी की २५००वी निर्वाण कल्याणक उत्सव राष्ट्रीय स्तर पर हो रहा था । उन्होंने अपनी शिष्या सुव्रताश्रीजी को अनुवाद करने का कार्य करने की प्रेरणा एवं आशीर्वाद दिया । साध्वीश्री सुव्रताश्रीजी ने गुर्वाज्ञा को शिरोधार्य करके अनुवाद का अत्यन्त कठिन कार्य प्रारंभ किया । प्रारंभ में अनेक प्रकार की समस्याएँ आई किन्तु साध्वीजी को गुरु का आशीर्वाद एवं पं. बेचरदास दोशीजी का मार्गदर्शन मिलता गया और चातुर्मास के दौरान ही यह कार्य संपन्न हो गया। प्रस्तुत अनुवाद की भाषा सरल एवं सुबोध शैली होने के कारण पाठक के लिए प्रस्तुत अनुवाद एक उत्तम साधन स्वरूप है। कठिन परिभाषाओं को सरल भाषा में प्रस्तुत किया गया है । साथ ही साथ विषय को समझाने के लिए आगम, आगमेतर साहित्य, जैन साहित्य, जैनेतर साहित्य, आध्यात्मिक ग्रंथों में से अनेक गाथाए, श्लोक एवं पंक्तिया उद्धृत की गई है जिससे विषय को सरलता से समझा जा सकता है। योग और सिद्धान्त जैसे जटिल एवं अनुभवगम्य विषय को विदुषी साध्वीश्री सुव्रताश्रीजी ने सरल भाषा में प्रस्तुत करके जिज्ञासुओं के लिए बहुत ही महत्त्वपूर्ण कार्य किया है। हिन्दी अनुवाद का संशोधन करने में प्रो. बालाजी गणोरकर एवं सुश्रावक श्री पुष्करराज सोलंकी का सहयोग मिला है इसके लिए मैं उनका आभारी हूँ। पू. साध्वीजी सुव्रताजी ने इस ग्रंथ का संपादन कार्य मुझे सौंपा उसके लिए मैं उनका भी हृदय से आभारी हूँ। यह संपादन कार्य करते हुए मुझे स्वाध्याय का जो अवसर मिला इसके लिए मैं सदैव ही साध्वीश्री सुव्रताश्रीजी एवं सुप्रज्ञाश्रीजी का ऋणी रहूँगा । १८.१२.२०१७ जितेन्द्र बी. शाह ला. द. भारतीय संस्कृति विद्यामंदिर अहमदाबाद २३
SR No.032246
Book TitlePrachin Stavanavli 23 Parshwanath
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHasmukhbhai Chudgar
PublisherHasmukhbhai Chudgar
Publication Year
Total Pages108
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size6 MB
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