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________________ आनंदकी घडी आई, सखीरी आज - श्री पूज्य वत्सल प्रभुजी महाराज -16 आनंदकी घडी आई, सखीरी आज आनंदकी घडी आई; करके कृपा प्रभु दरिसण दीनो, भवकी पीड मीटाई, मोहनिद्रासे जागृत करके, सत्यकी सान सुणाई, तन मन हर्ष न माई. सखीरी. नित्यानित्यका तोड बताकर, मिथ्यादृष्टि हराई; सम्यगज्ञानकी दिव्यप्रभाको, अंतरमें प्रगटाई; साध्यसाधन दिखलाई. सखीरी.२ त्याग वैराग्य संयमके योगसे, निःस्पृह भाव जगाई; सर्वसंग परित्याग कराकर, अलखधून मचाई; अपगत दुःख कहलाई. सखीरी.३ ।। अपूर्वकरण गुणस्थानक सुखकर, श्रेणी क्षपक मंडवाई; वेद तीनोंका क्षय कराकर, क्षीणमोही बनवाई; जीवन-मुक्ति दिलाई, सखीरी.४ । भक्त वत्सल प्रभु करुणासागर, चरणशरण सुखदाई, जश कहे ध्यान प्रभुका ध्यावत, अजरामर पदपाई, ढंढ सकल मीट जाई, सखीरी.५ 3१४
SR No.032220
Book TitlePrachin Stavanavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHasmukh Chudgar
PublisherHasmukh Chudgar
Publication Year
Total Pages384
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size27 MB
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