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________________ कर्ता : श्री पूज्य उदयरत्नजी महाराज ५ महावीर स्वामी रे विनंती सांभळो, हु छु दुःखीयो अपार; भवोभव भटक्यो रे वेदना बह सही, चउगतिमां बहवार महावीर. १ जन्ममरण- रे दुःख निवारवा, आव्यो आप हजूर; सम्यग्दर्शन जो मुजने दियो, तो लहु सुख भरपुर. महावीर. २ रखडी रझडी रे प्रभुजी हुं आवीयो, साचो जाणी तुं एक; मुज पापी ने रे प्रभु तमे तारजो, तार्या जेम अनेक महावीर. ३ ना नहीं कहेजो रे मुजने साहिबा, हुं छु पामर रांक; आप कृपाळु रे खास दया करी; माफ करो मुज वांक. महावीर. ४ भूल अंनती रे वार आवी हशे, माफ करो महाराज; श्री उदयरत्न लळी लळी विनवे, बाह्य ग्रहो राखी लाज महावीर. ५ २८२
SR No.032220
Book TitlePrachin Stavanavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHasmukh Chudgar
PublisherHasmukh Chudgar
Publication Year
Total Pages384
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size27 MB
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