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________________ स्तवन - ७ (राग : मेरा जीवन...) शुभवेळा शुभअवसरे लाग्यो प्रभुशुं नेह, वाधे मुज मन वालहारे, दिनदिन बमणो नेह; विनतठी अवधार ऋषभजिन...वि....॥१॥ मनमारू लागी रहयुं तुज चरणे एकतान...वि.! हीयढें मुज हेजाल ऊरे, करे उमाहो अपार ; घडी घडी ने अंतरे रे, चाहे तुज दिदार..... ॥२॥ मिठो अमृतनी परेरे, साहिबा तारो संग नयणे नयण मिलावतारे, शीतल थाये अंग... ॥ ३ ॥ अवश्य पणे रे एक घडी रे, जाये तुज विण जेह वरस सो सम साहिबा रे, मुज मन लागे तेह ॥४॥ तुजने तो मुज उपरे रे, महेर न आवे काय, . तोय मुज मन लालचुरे खीण अलगु नवि थाय ॥ ५ ॥ आ संगायत आपणो रे जाणी ने जिनराय; दरिसण दिजे मुज थकी जिम हंस रतन सुखथाय.. ॥६॥ BREDERERTEREDME01013 D
SR No.032214
Book TitleSurendra Bhakti Sudha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPiyushbhadravijay, Jyotipurnashreeji, Muktipurnashreeji
PublisherShatrunjay Temple Trust
Publication Year2003
Total Pages68
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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