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________________ [६] कष्ट टल्यु उंबर तणु, जपतां नवपद ध्यान । श्री श्रीपाल नरिंद थया, वाध्यो बमखो वान ॥४॥ सातसो कोढी सुख लह्या, पाम्या जिन आवास । पुण्ये मुक्ति वधू वर्या पाम्या लील विलास ॥५॥ ७ श्री सिद्धाचल का चैत्यवन्दन सिद्धाचल शिखरे चढी, ध्यान धरो जगदीश । मन वच काय एकग्रशु, नाम जपो एकवीश ॥१॥ शत्रुञ्जयगिरी वंदीये, बाहुबली शिव ठाम । मरुदेवने पुंडरिकगिरी, रैवतगिरी विसराम ॥२॥ विमलाचल सिद्धराजजी, नाम भगीरथ सार, सिद्धक्षेत्रने सहस्त्र कमल, मुक्ति निलय जयकार ॥३॥ विमलाचल शतकूटगिरी, ढंकने कोडी निवास । कदंबगिरी लोहित नमु, ताल ध्वज पुण्यरास ॥४॥ महाबल दृढ शक्ति सही, ए एकवीशे नाम । साते शुद्धि समाचरी, नित्य कीजे प्रणाम ॥५॥ दृग्ध शून्यने प्रविधि दोष, अति परिणति जेह । चार दोष छंडी भजो, भक्ति भाव गुण गेह ॥६॥ मानव भव पामी करीए, सद्गुरु तीरथ जोग । श्री शुभवीरने शासने, शिवरमणी संयोग ॥७॥
SR No.032213
Book TitlePrachin Chaityavandan Stuti Stavan Sazzay Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShiv Tilak Manohar Gunmala
PublisherShiv Tilak Manohar Gunmala
Publication Year1964
Total Pages208
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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