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________________ [१६] करवाकर वहां से इन्दौर पधारे । सं० २०१७ का चौमासा इन्दौर में हुआ । चौमासा में साधु महाराज नहीं होने से व्याख्यान आदि का लाभ लिया। चौमासा बाद परम पू. रंजनश्रीजी म. सा. शिखरजी जाते उज्जैन पधारे, उनको वन्दन करने के लिए उज्जैन पधारया । श्रीसंघ की चौमासा विनंती होने पर सं० २०१८ का चौमासा उज्जैन में हुआ व्याख्यान आदि धर्म कार्य करते चौमासा समाप्त किया। परम प० आचार्य देवेश कि निश्रा में केशरियाजी मन्दिर की प्रतिष्ठा वैशाख सुदि १० को होने वाली थी। इसलिए वहां स्थिरता रखी और प्रतिष्ठा के समय में पांच बालिकाओं कि धूमधाम से छोटी बड़ी दीक्षा हुई इसके बाद चन्द्रावल मन्दिर प्रतिष्ठा होने पर आप साहेबजी वहां पर पधारे और आनन्द पूर्वक प्रतिष्ठा करवाते हुए हातोद होते हुए इन्दौर पधारया । सं० २०१९ का चौमासा इन्दौर में हुआ । परम पू. आचार्य चन्द्रसागर सूरिश्वरजी और पू. आचार्य देवेन्द्रसागर सूरिश्वरजी म. सा. का चौमासा इन्दौर में होने से आपश्री का व्याख्यान, वन्दन और ओघ नियुक्ति कि वांचना आदि का अच्छा लाभ मिला । जंघा का बल खीन होने से और श्री संघ की अति आग्रह भरी यह विनंती हुई कि अब आप साहेबजी से विहार नहीं हो सकता इसलिये इन्दौर शहर को पावन करो
SR No.032213
Book TitlePrachin Chaityavandan Stuti Stavan Sazzay Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShiv Tilak Manohar Gunmala
PublisherShiv Tilak Manohar Gunmala
Publication Year1964
Total Pages208
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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