SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 56
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्री हिमांशुविजयजीना लेखा स्वर्गस्थ मुनि श्री हिमांशुविजयजीए, न्याय व्याकरण साहित्यनी कलकत्ता युनिवर्सिटीनी परीक्षाओ आपीने, पोतानी विद्वत्तानो परिचय जेम जगतने कराव्यो हतो, तेम तेमणे आत्मानंद प्रकाश, जैन धर्म प्रकाश, जैन, जैनज्योति, वीर, प्रभात, जनमित्र, जैन सत्य प्रकाश, गंगा, कौमुदी, प्रजाबंधु, पुस्तकालय, साहित्य, बुद्धिप्रकाश आदि हिन्दी गुजराती एवां अतिप्रसिद्ध पत्रोमां संस्कृत प्राकृत हिंदी गुजरातीभाषामां ऐतिहासिक, साहित्यिक अने शिक्षण संबंधी लेखो लखीने पोतानी संशोधक बुद्धिनो अने साहित्यप्रियतानो परिचय कराव्यो हतो, ए कोईथी अजाण्यु नथी. आ बधाये लगभग ७० जेटला लेखोनो संग्रह बहार पाडवामां आव्यो छे. ऐतिहासिक शोधखोळथी भरेला आ महान् ग्रंथर्नु सम्पादन प्रसिद्ध साहित्यकार स्वर्गस्थना गुरु मुनिराजश्री विद्याविजयजी ५ घणीज योग्यता पूर्वक कर्यु छे. ६५० थी ७०० पानानो महान् ग्रंथ, उंचा ग्लेझ कागळो, पाकुं सुंदर बाइन्डींग ए बधुं होवा छतां किंमत मात्र २-०-० राखवामां आवेल छे. आ ग्रंथ श्री हिमांशुविजयजीना स्मारकमां काढवामां आव्यो छे.
SR No.032211
Book TitleSanskrit Prachin Stavan Sandoh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishalvijay
PublisherVijaydharmsuri Jain Granthmala
Publication Year1939
Total Pages58
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy