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________________ चोवीश तीर्थंकर प्रभुनी स्तुतिओ, चैत्यवंदन स्तवन तथा थोयो ANGRE १. श्री आदीश्वर भगवंतनी स्तुति : जेणे कीधी सकल जनता नीतिने जाणनारी, त्यागी राज्यादिक विभवने जे थया मौनधारी; व्हेतो कीधो सुगम सबलो, मोक्षनो मार्ग जेणे, पंहुँ छु ते "ऋषभजिनने" धर्म धोरी प्रभुने । चैत्यवंदन : भादि देव अलवेसरू, विनीतानो राय, नाभिराय कुलमंडणो, मरुदेवा माय ॥१॥ पांचसे धनुषनी देहडीओ प्रभु जी परम दयाल, चोरासी लाख पूर्वमुं, जस भायु सुविशाल ॥२॥ वृषभलंछन जिन वृषधरु मे उत्तम गुणमणी खाण, तस पदपन सेवन थकी, लही अविचल ठाण ॥३॥ स्तवन : प्रथम जिनेश्वर प्रणमीये...जास सुगंधी रे काय; कल्पवृक्ष परे तास, इन्द्राणी नयन जे, भुंगपरे लपटाय ॥१॥ प्रथम. रोग उरग तुज नवि नडे, अमृत जे मास्वाद ..
SR No.032202
Book TitleChovish Jina Prachin Stuti Chaityavandan Stavan Thoyadi Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArunvijay
PublisherMahavir Vidyarthi Kalyan Kendra
Publication Year
Total Pages58
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size6 MB
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